सीमानुज, हल्द्वानी: प्रदेश सरकार ने भले ही रोडवेज का किराया बड़ा दिया हो, लेकिन परिवहन निगम की इनकम इस फैसले से बढ़ती नहीं दिख रही है। शारीरिक दूरी का पालन कराने के लिए जो घाटा निगम को उठाना पड़ेगा, उसकी भरपाई के लिए रावत सरकार का यह फैसला उसको गले की फांस बनता दिख रहा है। सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने भी इसको संशोधित करने की मांग उठाई है। हालांकि मामला सत्ता से जुड़ा है, ऐसे में पार्टी के नेता खुले मंच पर बोलने से कतरा रहे हैं। इस सबन्ध में फ्रंट न्यूज नेटवर्क ने जनता से इस मुद्दे पर रायसुमारी की तो सरकार के इस फैसले पर विरोध सामने आ गया। बरेली जाने के लिए रोडवेज बस स्टैंड पर खड़े विजय बिष्ट का कहना था कि सरकार को घाटा है यह माना लेकिन उसकी भरपाई जनता की जेब पर डाका डालकर ही पूरी की जाए, यह अच्छी सरकार का कदम नहीं माना जा सकता। इसके लिए सरकार को चाहिए था कि अपने दायित्वधारियों के खर्चे कम करती। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। यह सरकार के अच्छे दिनों के स्लोगन के नारे के ठीक विपरीत है। इसी तरह बिटोरिया में रहने वाली यात्री सुषमा रावत का कहना था कि एक तो आदमी वेले ही कोरोना से कराह रहा है, ऊपर से सरकार की तरफ से ही मार पड़ने लगे तब तो दुर्भाग्य ही कहेंगे। पेट्रोल-डीजल के दामों में बिक्री भी तगड़ी मार है। अब बस किराया बड़ा दिया गया है।