यही स्थिति उत्तराखंड आर्म्ड पुलिस की भी है। यहां 2001 में भर्ती हुए सिपाहियों को एक अदद प्रमोशन की सख्त दरकार है। दूसरी तरफ बीते साल राज्य पुलिस मुख्यालय द्वारा विशेष श्रेणी के सिपाहियों को प्रमोशन तो दे दिया गया, लेकिन इससे पुलिस कर्मियों को कोई लाभ नहीं मिल पाया। वजह यह कि वे पहले ही ज्यादा वेतन पा रहे थे। प्रमोशन न मिलने के पीछे एक असल वजह हेड कांस्टेबल के पद रिक्त नहीं होना भी है। हालांकि रैंकर्स भर्ती के जरिये कुछ सिपाही पदोन्नत होते हैं, लेकिन उसके लिए विभागीय परीक्षा पास करनी पड़ती है।
अफसरों को फटाफट प्रमोशन: उत्तराखंड शासन ने 30 नवंबर 2020 को तत्कालीन डीजीपी अनिल रतूड़ी की सेवानिवृत्ति के दो दिन बाद ही 2 दिसंबर 2020 को अपर पुलिस महानिदेशक वी विनय कुमार को महानिदेशक स्तर के रिक्त पद पर पदोन्नति दे दी है। अफसोस, ऐसी तेजी निचले स्तर के कार्मिकों के प्रमोशन के मामलों में देखने को नहीं मिल पाती है।
अड़चनें हटेंगी, जल्द होंगे सिपाहियों के भी प्रमोशन
निचले रैंक के पुलिस कर्मियों के प्रमोशन में कई अड़चनें थीं, अब इन्हें दूर किया जा रहा है। शनिवार को ही सिपाही से लेकर दरोगा तक रैंक के पुलिसकर्मियों के लंबित पदोन्नति प्रकरणों पर विचार किया गया। अब इसकी नियमित समीक्षा की जाएगी।