Friday, April 19, 2024
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एयरपोर्ट से आगे नहीं बढ़ पाई विदेशों से मिली मदद, अकेले अमेरिका ने की 10 करोड़ डॉलर की मदद

एफएनएन, रुद्रपुर : कोरोना संक्रमण के बीच स्वास्थ संबंधी उपकरणों, दवा आदि की विदेशों से पहुंच रही मदद पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। आखिर ये मदद कहां जा रही है। ऐसे सवाल भारत में ही नहीं, अमेरिका में भी पूछे जा रहे हैं। ये मदद अभी तक एयरपोर्ट से गणतव्य तक नहीं पहुंचाई जा सकी है। ऐसे में स्पष्ट है कि देशभर में कोरोना को लेकर सिर्फ बातें ही की जा रही हैं, हकीकत कुछ और है। अकेले अमेरिका ही दस करोड़ डॉलर की मदद भारत को भेज चुका है।

ओवैसी ने किया ट्विट

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को ट्वीट कर पूछा था कि भारत में अब तक 300 टन विदेशी मदद आ चुकी है, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय नहीं बता रहा है कि इनका क्या हुआ? ओवैसी ने पूछा था कि-नौकरशाही ड्रामे के कारण कितनी जीवन रक्षक विदेशी मदद गोदामों में पड़ी है।

विदेशी मीडिया भी उठा रहा है सवाल

भारत ही नहीं, अब विदेशी मीडिया भी मदद को लेकर सवाल उठा रहा है। पहले विदेशी मीडिया ने भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के लिए नेतृत्व की कमजोरी, कुंभ आयोजन और चुनावों को जिम्मेदार बताया था। अब विदेशी मीडिया में भी भारत आ रही विदेशी मदद को लेकर सवाल उठ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के अस्पतालों में कोविड मरीजों की दिक्ततों में अभी कोई ठोस कमी नहीं आई है।

ये पूछा सवाल

चार मई को अमेरिकी विदेश मंत्रालय की नियमित प्रेस कांफ्रेंस में मंत्रालय की प्रवक्ता जैलिना पोर्टर से पूछा गया-आपने कहा कि अमेरिका से भारत के लिए लगातार मदद भेजी जा रही है। इसकी लंबी लिस्ट भी बताई गई। आपने ये भी कहा कि यूएसए एड इंडिया आपूर्ति भेजने की निगरानी कर रहा है। भारत में USAID का बड़ा ऑफिस भी है। ये सामान कहाँ जा रहे हैं। क्या इसकी कोई निगरानी की जा रही है? भारत के पत्रकारों का कहना है कि लोगों तक मदद नहीं पहुँच रही है।

ये दिया गया जवाब

इस सवाल के जवाब में जैलिना पोर्टर ने कहा-मैं फिर से यही बात दोहाराऊंगी कि अमेरिका ने 10 करोड़ डॉलर की मदद अब तक भारत पहुँचा दी है। यह मदद अमेरिकी एजेंसी के जरिए पहुँचाई गई है। इंडियन रेड क्रॉस को भारत सरकार के अनुरोध पर ये आपूर्ति दी गई है। ताकि जरूरतमंदों तक जरूरी सामान पहुँचाया जा सके। इस मामले में अब आपको भारत सरकार से पूछना चाहिए।

एयरपोर्ट से बाहर तक नहीं निकाली गई मदद

दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट एक प्रवक्ता ने कहा कि पिछले पाँच दिनों में विदेशों से 25 फ्लाइट में 300 टन कोविड आपातकालीन राहत सामग्री भारत पहुँची है। इन आपूर्ति में 5500 ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर्स, 3200 ऑक्सीजन सिलिंडर, 136000 रेमेडिसिवर इंजेक्शन शामिल हैं। दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं की महाप्रबंधक डॉ नूतन मुंदेजा ने कहा है कि इन आपातकालीन मदद से लोगों की जान बचाई जा सकती है, पर ये मदद कुछ किलोमीटर की दूरी तक भी नहीं पहुँच पा रही है। नूतन ने कहा कि जहाँ तक उन्हें जानकारी है अभी तक कोई मदद नहीं पहुँची है।

दिल्ली की स्थिति

दिल्ली में एक लाख कोरोना के सक्रिय मामले हैं और 20 हजार लोग अस्पतालों में हैं। ये सभी मरीज कई बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं। कई अस्पतालों में तो लोग ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ दे रहे हैं। दिल्ली एयरपोर्ट के प्रवक्ता का कहना है कि अभी तक इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है कि मेडिकल आपूर्ति किसी उड़ान से किसी राज्य में भेजी गई हो।

स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा

मंगलवार को इन सवालों के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि करीब 40 लाख सामग्री, जिनमें दवाइयाँ, ऑक्सीजन सिलिंडर, मास्क और अन्य तरह की विदेशी मदद 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 38 संस्थानों में भेजे गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ज़्यादातर संस्थान केंद्र सरकार के हैं। कोरोना की दूसरी लहर में हर दिन चार लाख के करीब संक्रमण के नए मामले आ रहे हैं और भारत ने 16 साल बाद पहली बार विदेशी मदद लेने का फैसला किया है।

कई देशों से मिल रही मदद

भारत को कई देशों से विदेशी मदद मिल रही है। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार यूएई से गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर 20 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन वाले सात टैंकर आए हैं। यह लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की ऐसी पहली आपूर्ति है। ब्रिटेन और इंडियन एयर फोर्स के साझे प्रयास से 450 ऑक्सीजन सिलिंडर चेन्नई पहुँचे हैं। इसके अलावा अमेरिका से मदद की पाँचवीं खेप आई है। इनमें मेडिकल उपकरण के अलावा 545 ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर्स हैं। इसके अलावा कुवैत भी इसी तरह की मदद आ रही है।

दिल्ली में केंद्र सरकार के कुछ अस्पतालों तक मदद सीमित

दिल्ली में केंद्र सरकार के आठ में से छह अस्पतालों को विदेशी मदद मिली है। दिल्ली के अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से सबसे ज्यादा जूझ रहे हैं। ऑक्सीजन का आवंटन केंद्र सरकार कर रही है और कई बार आपूर्ति में असंतुलन को लेकर आरोप भी लग रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, सफदरजंग हॉस्पिटल, राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल, एम्स, डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट ऑर्गेनाइज़ेशन, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ट्यूबरकोलोसिस एंस रेस्परटॉरी डिजीज को विदेशी मदद मिली है।

आ रही हैं ये सामग्री

विदेशों से BiPAP मशीन, ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर्स और सिलिंडर, पीएसए ऑक्सीजन प्लांट, पल्स ऑक्सिमीटर, दवाइयाँ, पीपीई,N-95और गाउन मदद के तौर पर आ रहे हैं।

भारत में फिर बना मौत का रिकॉर्ड

भारत में कोरोना के नए संक्रमितों में तीन दिन कमी के बाद फिर से नए संक्रमितों की संख्या बढ़ गई। बुधवार पांच मई की सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 24 घंटे के भीतर 382315 नए मामले दर्ज किए गए। वहीं, 3780 लोगों की कोरोना से जान चली गई। इससे पहले मंगलवार चार मई को देश में संक्रमण के 3,57,229 नए मामले दर्ज किए गए थे। वहीं इस अवधि में 3449 लोगों की मौत हुई थी। बुधवार लगातार 14 वां दिन है, जब कोरोना संक्रमण के मामले 3 लाख से ज्यादा आए हैं।

 

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