एफएनएन, देहरादून : उत्तराखंड के सियासत में बह रही दलबदल की गर्म हवाओं से सत्तारूढ़ भाजपा खासी असहज है। कैबिनेट मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत और विधायक उमेश शर्मा काऊ को लेकर कांग्रेस और भाजपा के भीतर लगातार तरह-तरह की चर्चाएं तैर रही हैं।
- अहम माना जा रहा अमित शाह का दौरा
इन चर्चाओं से चुनाव में भाजपा की सबसे बड़ी ताकत माने जाने वाला, उसका कैडर भी असमंजस में है। ऐसे सियासी हालातों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दौरा अहम माना जा रहा है। सियासी हवाओं में यह सवाल भी तैर रहा है कि क्या शाह का यह दौरा भाजपा में दलबदल की गर्म हवाओं का रुख बदल पाएगा?
दरअसल, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की ओर से कई अवसरों पर कभी खुलकर तो कभी परोक्ष रूप से एक-दूसरे के यहां सेंध लगाने के संकेत दिए गए हैं।
प्रदेश कांग्रेस में इतिहास का सबसे बड़ा विभाजन कर भाजपा में गए नौ विधायकों को लेकर साढ़े चार साल तक बेहद कठोर रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का हृदय भी चुनावी साल में परिवर्तित होता दिखा है और वे संकेत दे रहे हैं कि कतिपय बागियों की घरवापसी में वह शायद रुकावट न बनें। उनका यही हृदय परिवर्तन भाजपा की चिंता का सबब माना जा रहा है।
- अमित शाह के फैसले के सामने सबको नतमस्तक होना पड़ा
हालांकि भाजपा के भीतर ही एक बड़ा वर्ग पहले दिन से ही कांग्रेस में आए लोगों को लेकर असहज रहा। लेकिन पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के इस फैसले के सामने सबको नतमस्तक होना पड़ा। यह उनका ही प्रभाव है कि जब-जब भाजपा में आए मंत्री-विधायक खुद को असहज पाते हैं, वे शाह से आशीर्वाद लेकर लौट आते हैं।
- खुद को सहज दिखाने का प्रयास कर रही भाजपा
कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत व विधायक उमेश शर्मा काऊ इसकी मिसाल हैं। यही वजह है कि कई अवसरों पर प्रदेश नेतृत्व अपनी ओर से कोई भी सख्त पहल करने से हिचकता है। पार्टी लाइन से इतर उनके बयानों पर भाजपा खुद को सहज दिखाने का प्रयास करती दिखी। लेकिन अब जैसे-जैसे चुनाव आ रहे हैं, पार्टी का प्रांतीय नेतृत्व चाहता है कि उसके नेताओं की ओर से ऐसे प्रयास न हों कि दलबदल की चर्चाओं को बल मिले।
इन परिस्थितियों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बड़े सियासी निहितार्थ हैं। यही वजह है कि जनसभा के बाद शाह प्रदेश पार्टी पदाधिकारियों, विधायकों व जनप्रतिनिधियों से रूबरू होंगे। इस बैठक में वह दलबदल को लेकर बेशक खुलकर कोई बात न करें, लेकिन परोक्ष रूप से कोई न कोई संदेश वह दे सकते हैं। सबसे अहम कोर ग्रुप के साथ उनकी चर्चा है।
इस कोर ग्रुप में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी सदस्य हैं। बहुगुणा पिछले दिनों उन सभी नौ लोगों से मिले, जो कांग्रेस में विभाजन कर उनके साथ भाजपा में शामिल हुए थे। सियासी जानकारों के मुताबिक, शाह चुनावी साल में भाजपा की जीत के लिए उत्साह भरने के साथ ही दलबदल की हवाओं का रुख विरोधियों की ओर मोड़ने का मंत्र देकर जा सकते हैं।