Thursday, March 28, 2024
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Homeराज्यउत्तराखंडबिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक, सरकार ने लगाया एस्मा

बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक, सरकार ने लगाया एस्मा

एफएनएन, देहरादून : उत्तराखंड सरकार बिजली कर्मचारियों को मनाने में फ्लाप हुई और सोमवार की मध्यरात्रि के बाद प्रदेश भर के करीब 3500 से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। बिजली आपूर्ति बाधित होने पर वैकल्पिक व्यवस्था क्या होगी, शायद इसका भी होमवर्क नहीं किया गया है। ऐसे में यदि कहीं बिजली आपूर्ति बाधित होती है, तो उसे सुचारु करने में भी दिक्कत हो सकती है। क्योंकि कर्मचारी कह चुके हैं कि हड़ताल के दौरान वे किसी फाल्ट को दुरुस्त नहीं करेंगे। साथ ही उपभोक्ताओं को भी हड़ताल के चलते मानसिक रूप से तैयार रहना होगा। कहीं, ऐसा न हो कि आपके बिजली उपकरण हड़ताल की अवधि में करंट के बगैर ठप हो जाएं। दिन चढ़ने के साथ हड़ताल का असर दिखना शुरू हो गया। विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन भी प्रभावित होने लगा है। कई इलाकों में बिजली गुल हो गई है। हालांकि बिजली दफ्तरों में कुछ संविदा कर्मी तैनात हैं। वहीं, कई सब स्टेशनों में ताले लटकने लगे हैं। उधर, एक और बिजली कर्मचारियों की ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से वार्ता चल रही, वहीं, दूसरी तरफ शासन ने हड़ताल पर रोक लगा दी। इस संबंध में ऊर्जा सचिव सौजन्या ने आदेश जारी किया। इसमें कहा गया है कि लोकहित में ऊर्जा निगम के तीनों निगमों में तत्काल प्रभाव से हड़ताल निषिद्ध है।
उत्तराखंड के नए सीएम पुष्कर धामी की ये सबसे बड़ी परीक्षा का भी समय है। क्योंकि आवश्यक सेवाओं वाले विभाग के कर्मचारी यदि हड़ताल पर चले जाएं तो स्थिति विकट हो सकती है। एसीपी की पुरानी व्यवस्था की बहाली और समान काम के लिए समान वेतन समेत 14 सूत्रीय मांगों को लेकर शासन के साथ सोमवार पूरे दिनभर बिजली कर्मचारियों की वार्ता होती रही। देर रात्रि तक वार्ता के बावजूद समाधान की राह नहीं निकली। शासन ने मांगों को मानने के लिए मंगलवार को होने वाले कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव रखने का भरोसा भी दिया, लेकिन कार्मिकों ने इसे नाकाफी माना।
हालांकि ऊर्जा सचिव सौजन्या ने कहा कि कर्मचारी संगठनों ने मंगलवार सुबह शासन के प्रस्ताव पर विचार करने का भरोसा दिया है। उधर, उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने हड़ताल प्रारंभ कर दी।
मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना में उत्पादन ठप
मनेरी भाली प्रथम और द्वितीय जल विद्युत परियोजना में उत्पादन ठप कर दिया गया है। इससे राज्य सरकार को करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। वहीं, जिला मुख्यालय सहित जनपद के भटवाड़ी, पुरोला, नौगांव, बडकोट, चिन्यालीसौड़ सहित ग्रामीण क्षेत्रों पिछले एक घंटे से बिजली आपूर्ति ठप है। विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल के कारण फाल्ट का भी पता नहीं चल पा रहा है। सुबह-सुबह बिजली गुल होने से स्थानीयजन खासे परेशान हो गए हैं।
पछवादून की पांच जल विद्युत उत्पादन केंद्र ठप
बिजली कर्मियों की हड़ताल के चलते पछवादून के पांच जल विद्युत उत्पादन केंद्रों ढलीपुर, ढकरानी, छिबरो, खोडरी, कुल्हाल पावर हाउस में पावर जनरेशन पूरी तरह से ठप हो गया है। इसके चलते जल विद्युत निगम अधिकारियों ने बैराज के गेट खुलवा दिए हैं और नदियों का पानी सीधे पास किया जा रहा है। हड़ताल के चलते यूपीसीएल से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों ने बिजली लाइन में आए फाल्ट को हड़ताल के चलते दूर नहीं कराया। हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिल रहा है।
हड़ताल रोकने के होते रहे प्रयास
उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर ऊर्जा निगम, पिटकुल और जलविद्युत निगम में सोमवार मध्यरात्रि से घोषित हड़ताल को खत्म कराने के लिए शासन ने दिनभर मोर्चा प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की। ऊर्जा मंत्री डा हरक सिंह रावत ने मोर्चा से वार्ता कर समाधान निकालने के निर्देश ऊर्जा सचिव सौजन्या को दिए थे।
सोमवार को दोपहर करीब 12 बजे सचिवालय में मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल के साथ सचिव की वार्ता हुई। काफी देर तक हुई इस वार्ता में भी समाधान नहीं निकल सका। बाद में यह वार्ता बेनतीजा ही खत्म हो गई।
शाम को ऊर्जा सचिव ने मुख्य सचिव डा एसएस संधू से मुलाकात कर उन्हें शासन स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। मुख्य सचिव की मौजूदगी में भी मोर्चा प्रतिनिधियों से कुछ देर वार्ता हुई।
मुख्य सचिव के निर्देश पर ऊर्जा निगम के नए एमडी दीपक रावत, पूर्व एमडी नीरज खैरवाल और पूर्व ऊर्जा सचिव राधिका झा भी वार्ता में शामिल हुईं। इस वार्ता में समाधान नहीं निकला तो मुख्य सचिव ने समाधान के लिए प्रयास जारी रखने को कहा। रात्रि करीब सात बजे शासन की संयुक्त मोर्चा से दूसरे दौर की वार्ता प्रारंभ हुई। तकरीबन पांच घंटे से ज्यादा वक्त तक वार्ता हुई। ऊर्जा सचिव सौजन्या ने कर्मचारियों की मांगों पर कार्रवाई का भरोसा दिया।
उन्होंने कहा कि उक्त मांगों पर कार्यवाही के लिए शासन की ओर से मंगलवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। वार्ता के बिंदुओं पर शासन की ओर से दिए गए इस आश्वासन का कार्यवृत्त तैयार कर मोर्चा को भेजा गया है। वहीं मोर्चा के संरक्षक इंसारूल हक ने मांगों पर सहमति बनने से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि वार्ता के नाम पर सिर्फ उलझाया जा रहा है।
मोर्चा के आह्वान पर हड़ताल मध्य रात्रि से प्रारंभ हो गई है। सचिव के साथ वार्ता में मोर्चा के संरक्षक इंसारुल हक, उत्तराखंड ऊर्जा कामगार संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश शर्मा, दीपक बेनवाल, कार्तिकेय दुबे, अमित रंजन, डीसी ध्यानी, जेसी पंत समेत करीब 13 संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इंसारुल हक के मुताबिक हड़ताल के चलते जलविद्युत परियोजनाओं में उत्पादन प्रभावित होना शुरू हो गया है। बिजलीघरों को जैसे हैं, उसी हालत में छोड़कर कर्मचारी बाहर निकल गए हैं। बिजली आपूर्ति सुचारु रहेगी, लेकिन किसी फाल्ट की वजह से बंद हुई तो उसे ठीक नहीं किया जाएगा।
ये हैं मुख्य मांगें
-ऊर्जा निगम में एसीपी की पुरानी व्यवस्था लागू की जाए
-उपनल के माध्यम से कार्य कर रहे कार्मिकों का नियमितीकरण हो
-निगम में समान कार्य को समान वेतन मिले
-ऊर्जा निगमों में इंसेंटिव एलाउंसेज का रिवीजन किया जाए।

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