- अमेरिका और बेल्जियम के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम की वर्षों के शोध से हुआ खुलासा
एफएनएन, देहरादून। घोड़ों और गैंडों जैसे खुर वाले स्तनधारी जीवों की उत्पत्ति साढ़े पांच करोड़ वर्ष पहले भारत की ही धरती पर हुई थी। देहरादून में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, अमेरिका के हॉपकिंस यूनिवर्सिटी और बेल्जियम के रॉयल बेल्जियम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम के ताजा शोध अध्ययन से यह बड़ा खुलासा हुआ है। वरिष्ठ वैज्ञानिकों की इस टीम ने जीवाश्मों के कई साल की रिसर्च के बाद यह शोध अध्ययन प्रकाशित किया है। वैग्यानिकों की मानें तो आज से करीब साढ़े पांच करोड़ साल पहले गुजरात और देश के अन्य इलाकों में घोड़ों, गैंडों और टॉपिर जैसे जीव बहुतायत में विचरण करते थे।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के पूर्व भूगर्भ विज्ञानी डॉ. किशोर कुमार बताते हैं कि गुजरात के सूरत जिले में तारकेश्वर व आसपास के इलाकों में लिग्नाइट की खदानों में 350 से अधिक जीवाश्मों को इकट्ठा करने के बाद यह शोधपूर्ण अध्ययन किया गया।अध्ययन में उस समय पाए जाने वाले जीवों के दांतों, खोपड़ी, हड्डियों को शामिल किया गया। शोध में साफ हुआ कि साढ़े पांच करोड़ साल पहले खुर वाले स्तनधारी इन इलाकों में रहते थे और मध्यम गति से दौड़ भी सकते थे।
बिल्ली के आकार के थे घोड़ों, गैंडों के पूर्वज!
डॉ. किशोर कुमार की मानें तो जीवाश्मों के गहन अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि आज के भारी भरकम डील डौल वाले घोड़ों, गैंडों के पूर्वज सिर्फ बिल्ली के आकार के थे। बाद में वक्त और जलवायु में बदलाव के अनुसार इनका आकार भी बदलता रहा। आज के घोड़ों और गधों के खुरों की तरह उस काल में कैंबेथेरियम के भी खुर होते थे।
कैंबे खाड़ी के नाम पर कैंबेथेरियम का नामकरण
डॉ. किशोर कुमार बताते हैं कि घोड़ों, गैंडों के इन पूर्वजों के जीवाश्म कैंबे खाड़ी के आसपास पाए गए हैं। इसीलिए इन जीवों का नाम कैंबेथेरियम रखा गया है। जहां पर कैंबेथेरियम के जीवाश्म पाए गए हैं वहां कभी मीठे पानी की बड़ी झील हुआ करती थी। इसी वजह से इन जीवों के जीवाश्म करोड़ों साल तक सुरक्षित रहे।
गुजरात के सूरत जिले के तारकेश्वर व आसपास के इलाकों में स्थित लिग्नाइट की खदानों में पाए गए जीवाश्म के अध्ययन से कैंबे थेरियन प्रजाति के जीवों का पता लगाया गया है जो वर्तमान घोड़ों और गैंडों के पूर्वज थे। अध्ययन से पता चलता है कि खुर वाले स्तनधारी जीवों की सबसे पहले उत्पत्ति भारत में ही हुई। अध्ययन में अमेरिका के हापकिंस यूनिवर्सिटी और रॉयल बेल्जियम इंस्टीट्यूट आफ साइंसेज के वैज्ञानिकों की भी मदद ली गई है। शोध रिपोर्ट को जर्नल ऑफ वर्टेब्रेट पैलियोनटोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
-डॉ. किशोर कुमार, पूर्व वरिष्ठ भूगर्भ विज्ञानी, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी