Friday, March 29, 2024
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पाइनवुड विलाज का बड़ा कारनामा उजागर, कृषि में रजिस्ट्री कराकर काट दी आवासीय कॉलोनी, विक्रेता वृद्ध महिला को दिखाया पार्टनर

  • गलत तथ्यों के आधार पर कराया मानचित्र स्वीकृत
  • रेरा का भी रजिस्ट्रेशन हासिल किया, शिकायत के बाद रेरा ने कॉलोनाइजर जगदीश बिष्ट को तलब किया
  • विकास प्राधिकरण ने भी भेजा नोटिस, रद्द हो सकता है मानचित्र

एफएनएन, रुद्रपुर : काशीपुर रोड पर दानपुर में विकसित की जा रही पाइनवुड विलाज ( pine wood villas) का बड़ा गोलमाल सामने आया है। इस मामले में एक शिकायत के बाद न सिर्फ उत्तराखंड भू संपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) सख्त हो गया है, वहीं जिला विकास प्राधिकरण ने भी कॉलोनाइजर को तलब कर लिया है। पता लगा है कि कृषि में रजिस्ट्री कराकर कॉलोनाइजर ने अप्रूवल रेजिडेंशियल कॉलोनी का लिया और इसी आधार पर मानचित्र भी स्वीकृत करा लिया। बड़ी धोखाधड़ी यह भी सामने आई कि कॉलोनाइजर ने कृषि में भूमि बेचने वाली दलित वृद्ध महिला की बिना अनुमति उसके फर्जी हस्ताक्षर के जरिए कागजों में पार्टनर भी दर्शा दिया।

मामला Pine Wood Villas का है। शिकायतकर्ता दलित वृद्ध महिला पुष्पा देवी का कहना है कि उसके द्वारा कृषि भूमि बेची गई थी। जिसमें 11 जून 2019 को 0.6072 हेक्टेयर कृषि भूमि की पहली रजिस्ट्री हुई। उसकी अनुमति के बिना जगदीश सिंह बिष्ट द्वारा उक्त भूमि में रेजिडेंशियल कॉलोनी पाइनवुड विलास का प्रोजेक्ट संचालित कर गलत तथ्यों के आधार पर भूमि के तलपट मानचित्र को जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण में आवेदन कर दिया गया। इसमें उसे साझीदार यानी पार्टनर दिखाते हुए उसके फर्जी साइन भी कागजों पर कर दिए गए, जबकि उसका इस कॉलोनी से कोई लेना -देना या वास्ता ही नहीं है।


खास बात यह है कि विकास प्राधिकरण ने आंखें मूंदकर 11455.47 वर्ग मीटर का मानचित्र 18 अक्टूबर 2019 को स्वीकृत भी कर दिया। इसके बाद अपनी गलती विकास प्राधिकरण ने फिर से दोहराई और संशोधित मानचित्र 11940.10 वर्ग मीटर का भी स्वीकृत कर दिया गया। जगदीश सिंह बिष्ट ने इसी के आधार पर विभाग को अंधेरे में रखते हुए भू संपदा नियामक प्राधिकरण यानी रेरा में रजिस्ट्रेशन भी करा लिया।

जब इसका पता पुष्पा देवी को लगा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने मानचित्र को निरस्त करने के लिए एक प्रार्थना पत्र 20 सितंबर 2022 को जिला विकास प्राधिकरण में दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद पुष्पा देवी ने रेरा की शरण ली और जगदीश सिंह बिष्ट द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर कराए गए रेरा रजिस्ट्रेशन को निरस्त करने की मांग की। रेरा ने इस मामले में जिला विकास प्राधिकरण के सचिव से जवाब तलब किया और जगदीश सिंह बिष्ट को तलब कर उनका जवाब मांगा।

जगदीश सिंह बिष्ट द्वारा न सिर्फ कृषि में आवासीय कॉलोनी की भूमि की रजिस्ट्री कराकर सरकार को बड़ा चूना लगाया बल्कि रेरा विकास प्राधिकरण और पुष्पा देवी की आंखों में धूल झोंकने का काम भी किया। बड़ा सवाल यह भी है कि जब रजिस्ट्री कृषि में दर्ज है तो अप्रूवल रेजिडेंशियल कॉलोनी का कैसे हो गया ? किस तरह से विकास प्राधिकरण ने पहले इसका मानचित्र और फिर संशोधित मानचित्र जारी कर दिया ? और फिर पुष्पा देवी ने तो एससी की जमीन को लेकर उसे बेचने का अप्रूवल डीएम से लिया था, न कि गलत तरीके से उसे कॉलोनी में दर्ज कराने और गोलमोल तरीके से पार्टनर बना देने का।

इस संबंध में जब हमने आरोपी कॉलोनाइजर जगदीश बिष्ट से बात की तो उनका कहना था कि विकास प्राधिकरण में साइन पुष्पा देवी के ही हैं और उन पर गलत आरोप लगाया जा रहा है। उनका कहना है कि पार्टनर बनने में पुष्पा देवी की रजामंदी थी, लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने सरकार को चूना लगाते हुए जमीन की रेजिडेंशियल कॉलोनी के स्थान पर कृषि में रजिस्ट्री क्यों कराई, तो वह जवाब नहीं दे सके। इतना जरूर कहा कि कुछ लोग उन्हें परेशान कर रहे हैं और सत्य की जीत होती है और वह यह साबित कर देंगे।

फ्रंट न्यूज़ नेटवर्क ने इस बारे में जिला विकास प्राधिकरण के एक्सईएन माथुर से बात की तो उनका कहना था कि दोनों पक्षों को सचिव की ओर से तलब किया गया है। उनका यह भी कहना था कि कि हम मास्टर प्लान में ऑनरशिप देखते हैं, जो लैंड यूज होता उसी के आधार पर नक्शा पास होता है। उन्होंने कहा कि पुष्पा देवी की शिकायत प्राप्त हुई है और इसी आधार पर दोनों पक्षों को तलब किया गया है। पुष्पा देवी का कहना है कि हस्ताक्षर उनके नहीं है और वह कॉलोनी में पार्टनर भी नहीं है, इसकी जांच कराई जाएगी। क्रमश:

-जल्द पढ़े, रेजिडेंशियल कॉलोनी में किस तरह सरकार को चूना लगाकर हो रही बिजली की सप्लाई।

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