- दून, मसूरी से खास लगाव था, बुजुर्गों के जेहन मेंं अब भी ताजा है उनका आम आदमी की तरह घूमना
एफएनएन, देहरादून: सरल व्यक्तित्व और ओजस्वी कंठ वाले अविस्मरणीय अटलजी। उत्तराखंड को अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में लाने में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। अटल जी ही थे, जिन्होंने उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया। वाजपेयी सरकार में ही उत्तराखंड देश का 27वां राज्य बना। इसके साथ ही उन्होंने राज्य को औद्योगिक पैकेज की सौगात भी दी थी। अटल जी का यूं तो संपूर्ण उत्तराखंड से गहरा नाता रहा, मगर उन्हें दून और मसूरी से खास लगाव था। पहाड़ों की रानी मसूरी उन्हें बहुत आकर्षित करती थी। उनका एक साधारण व्यक्ति की तरह यहां स्कूटर पर घूमना आज भी दूनवासियों के जेहन में ताजा है।
अटल जी को जब भी अवसर मिलता था, वह मसूरी आते और यहां की शांत वादियों में आत्ममंथन करते। देहरादून में उनके पारिवारिक मित्र स्व. नरेंद्र स्वरूप मित्तल रहते थे। वाजपेयी जब भी दून आते, उनके पास खासा वक्त गुजारते। आज भी मित्तल परिवार के पास तस्वीरों के रूप में उनकी यादें मौजूद हैं। नरेंद्र स्वरूप मित्तल के पुत्र एïवं भाजपा नेता पुनीत मित्तल ने उनके साथ बिताए दिनों को स्मरण करते हुए बताया कि अटल जी जब भी देहरादून आते थे, उन्हीं के घर रुकते थे।
ट्रेन में सफर, खुद उठाते थे अपना ब्रीफकेस
अटल जी में सरलता ऐसी थी कि वह अपने सामान का छोटा-सा ब्रीफकेस भी खुद उठाते थे। ट्रेन से आते-जाते थे। उनके ब्रीफकेस में एक धोती-कुर्ता, अंतर्वस्त्र, रुमाल और टूथब्रश होता था। जमीन से जुड़े हुए अटल जी दून की सड़कों पर नरेंद्र स्वरूप मित्तल के साथ 1975 मॉडल के स्कूटर पर सैर करते थे। कई दफा अटल जी नरेंद्र मित्तल के साथ स्कूटर पर ही मसूरी चले जाया करते थे। बाद में जब नरेंद्र स्वरूप मित्तल ने फिएट कार ले ली तो वह अटल जी को उसमें घुमाया करते थे।
मैंगो शेक और मूंग दाल थी पसंद
पुनीत मित्तल ने बताया कि अटल जी को मैंगो शेक और मूंग की दाल बेहद पसंद थी। वह हंसमुख स्वभाव के थे और नियमित रूप से सभी अखबार पढ़ते थे। अटल जी जब दून आते थे तो नरेंद्र स्वरूप उनके लिए 15-16 अखबार रोजाना मंगाया करते थे। दून के बाद वह मसूरी जाया करते थे और हफ्ते-दो हफ्ते यहां रहकर वापस दिल्ली लौट जाते थे।
पुनीत मित्तल की शादी में आए थे
पुनीत मित्तल की 12 फरवरी 1993 को शादी हुई तो उसमें भी अटल जी दून आए। पुनीत ने बताया कि उनके स्मरण में कम से कम 50 मर्तबा अटल जी उनके घर आए होंगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल जी जब परिवर्तन रैली में देहरादून आए थे तो उन्होंने पूरे मित्तल परिवार के साथ नाश्ता भी किया था।
फरवरी 2007 में आखिरी यात्रा
अटल जी ने देहरादून का आखिरी दौरा 19 फरवरी 2007 को किया था। उस वक्त 21 फरवरी को उत्तराखंड में विधानसभा के चुनाव होने थे। वह 19 फरवरी को प्रचार के अंतिम दिन यहां पहुंचे थे। भाजपा नेता बलजीत सिंह सोनी ने बताया कि उस दिन एयरपोर्ट पर वह अटल जी को व्हील चेयर पर हवाई जहाज तक ले गए थे। इससे पूर्व अटल जी नौ सितंबर 2006 को दून में आयोजित भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पहुंचे थे। सुभाष रोड स्थित एक होटल में आयोजित यह बैठक सात से नौ सितंबर तक चली थी। इसमें लालकृष्ण आडवाणी, एम. वेंकैया नायडू, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, नरेंद्र मोदी (तब गुजरात के मुख्यमंत्री) और राजनाथ सिंह जैसे भाजपा के तमाम बड़े नेता पहले दिन ही दून पहुंच गए थे।
स्वास्थ्य संबंधी परेशानी की वजह से अटल जी अंतिम दिन इस बैठक का हिस्सा बने। उन्हें चलने में काफी दिक्कत हो रही थी। भाजपा नेता बलजीत सिंह सोनी ने बताया कि पार्टी के सभी नेता चाहते थे कि अटल जी परेड मैदान में उसी शाम होने वाली जनसभा को संबोधित करें, लेकिन अटल जी की स्थिति मंच पर चढ़ पाने की नहीं थी। लिहाजा, वह जनसभा में नहीं गए। होटल में कार्यकारिणी की बैठक में कुछ देर के लिए शामिल हुए और थोड़े आराम के बाद लौट गए।