एफएनएन, रुद्रपुर : क्रिमसन एज्युकेशन से गठबंधन कर कान्फ्लुएंस वर्ल्ड स्कूल अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका निभाने जा रहा है। क्रिमसन बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ ही टीचर्स को भी नई शिक्षा प्रणाली के अनुरूप एज्युकेट करेगा।
सीबीएसई से संबद्ध कान्फ्लुएंस वर्ल्ड स्कूल 2012 में रुद्रपुर में स्थापित किया गया था। स्कूल को एक प्रगतिशील और भविष्यवादी स्कूल के रूप में मान्यता दी गई है, जो न केवल छात्रों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित करता है, बल्कि यह छात्रों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित है। खेल, संगीत, नाटक पर भी समान जोर दिखता है।
कोविड महामारी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020-21 के तहत भारत में शिक्षा प्रणाली को बदल रहे हैं। स्कूलों को इन परिवर्तनों के लिए खुद को अनुकूलित करना होगा, तभी छात्रों व शिक्षकों को विकास की ओर ले जाया जा सकता है।
कान्फ्लुएंस के निदेशक पुनीत छाबड़ा और साक्षी छाबड़ा ने बताया कि कान्फ्लुएंस ने मुंबई स्थित क्रमसन एज्युकेशन के साथ अनुबंध किया है, जिसका नेतृत्व प्रसिद्ध शिक्षाविदों ने किया है। इन शिक्षाविदों ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा बोर्डों के साथ काम किया है। क्रिमसन अब देश के सात राज्यों में 25 स्कूलों के साथ भारत के सबसे तेजी से बढ़ते स्कूलों से एक है और कान्फ्लुएंस वर्ल्ड स्कूल उत्तराखंड का पहला स्कूल है। बताया कि क्रिमसन भारत के मुख्य शहर जैसे मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, हैदराबाद, फरीदाबाद में सीबीएसई, आईबी और आईसीएसई बोर्डों से संबंद्ध स्कूलों के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहा है। क्रिमसन की टीम को न केवल भारत बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्कूलों के प्रबंधन का समग्र अनुभव है। कान्फ्लुएंस रुद्रपुर का पहला और एक मात्र स्कूल है जिसके पास देश के सर्वश्रेष्ठ सीबीएसई स्कूलों में से एक होने के उद्देश्य से इन प्रसिद्ध विशेषज्ञों के इतने समृद्ध ज्ञान और अनुभव तक पहुंच होगी। कहा कि कान्फ्लुएंस देश का राष्ट्रीय ब्रांड बनेगा।
स्कूल का उद्देश्य बच्चों का विकास : क्रिमसन एज्युकेशन के एमडी फ्रांसिस जोसेफ ने कहा कि वे रुद्रपुर में एक विश्व स्तरीय स्कूल बनाने के लिए कान्फ्लुएंस की टीम के साथ जुड़कर बेहद खुश हैं। अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि विभिन्न शिक्षा बोर्डों के साथ अपने काम के दौरान हमने देखा है कि अधिकांश स्कूल वही करते हैं जो बोर्ड निर्धारित करता है। वे उत्तम दर्जे का बुनियादी ढांचे का निर्माण करते हैं, लेकिन स्कूल का मूल उद्देश्य इससे बहुत आगे है। ऐसे वातानुकूलित स्कूल भवन का क्या फायदा, यदि छात्र प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश ही न ले सके। कहा कि स्कूल में छात्र का समग्र विकास होना चाहिए। बताया कि वे अपने छात्रों को उनकी उच्च शिक्षा और कॅरियर के लक्ष्यों के लिए तैयार करना चाहते हैं।
अब ये हैं टीम के सदस्य: उनकी टीम में सीबीएसई शासी परिषद के सदस्य डाॅक्टर अशोक पांडेय जिन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार समेत कई पुरस्कार मिले हैं शामिल हैं। खुद श्री जोसेफ 125 स्कूलों को स्थापित और प्रबंधित कर चुके हैं। वे कैम्ब्रिज दक्षिण एशिया के प्रतिष्ठित सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं। इसके अलावा सरकारों और शिक्षा बोर्डों के लिए नीतियों के क्रियान्वयन में शामिल रहे हैं।
सुश्री फरजाना दोहदवाला भी इस टीम का मुख्य हिस्सा हैं। वे 18 वर्षों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के पूर्व दक्षिण एशिया प्रतिनिधि (आईबी) रही हैं। वह अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय शिक्षण और सीखने की रणनीतियों में पाठ्यक्रम विशेषज्ञ और अर्ली चाइल्ड हुड एसोसिएशन की उपाध्यक्ष हैं। जीवीके प्रसाद स्कूल गुणवत्ता प्रत्यायन, प्रशिक्षण और विकास में विशेषज्ञ हैं। उन्हे दुबई स्कूल इंस्पेक्शन ब्यूरो, यूएई, टाटा ट्रस्ट्स, टेक महिन्द्रा और शिक्षा के क्षेत्र में कई अन्य कंपनियों के साथ काम करने का अनुभव है। इसके अतिरिक्त हुसैन दोहदवाला राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रम विशेषज्ञ है। वे एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए आईबी एजुकेटर नेटवर्क का हिस्सा हैं। वे स्कूल निरीक्षण यात्राओं और शिक्षक प्रशिक्षण में विशेषज्ञ हैं।