Friday, March 29, 2024
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दुनिया के 87 देशों के मुकाबले कोरोना को थामने में कामयाब रहा भारत

एफएनएन, नई दिल्‍ली : विशाल आबादी के चलते प्रति व्यक्ति संसाधनों की उपलब्धता में भारत पिछड़ जाता है। अल्प संसाधनों के बावजूद किसी भी देश के एक भी नागरिक की असमय मौत बहुत दुखद है। कोई भी सरकार अपने देश की हर जान बचाने के लिए सभी संभव जतन करती है, लेकिन भारत में महामारी की दूसरी लहर की पश्चिमी मीडिया इतनी अतिरेक तस्वीर पेश कर रही है जिसे कोई भी समाज के चौथे स्तंभ की जवाबदेही और जिम्मेदारी भरा कदम नहीं कहेगा।

भारत प्रतिकूल हालात से गुजर रहा है, लेकिन अगर हम कोरोना से इसकी जंग का आकलन करते हैं तो पाते हैं कि भारत दुनिया के दो महाद्वीपों यानी यूरोप और उत्तरी अमेरिका के संयुक्त प्रयासों से भी कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से अपने नागरिकों की जान बचा रहा है। आइए, पश्चिमी मीडिया की अतिरेक तस्वीरों की तथ्यों और तर्कों पर पड़ताल करते हैं

87 देश के बराबर भारत

यूरोप और उत्तरी अमेरिका महाद्वीपों में क्रमश 49 और 39 देश हैं। यानी कुल 87 देश जिनकी आबादी 134 करोड़ है। इन देशों में अब तक कुल 19.37 लाख मौतें हो चुकी हैं। भारत में महामारी के चलते हुई मौतें 2.88 लाख हैं। इन देशों के 8.5 करोड़ से अधिक मामलों की तुलना में भारत में 2.59 करोड़ मामले हैं।

हेल्थ इंडेक्स में पीछे

ब्लूमबर्ग की ग्लोबल हेल्थ इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता की वैश्विक रैंकिंग में 159 देशों की कतार में 120वें नंबर पर आता है। इस मामले में भारत से छोटे और कमजोर देश कहीं अधिक बेहतर माने जाते हैं। श्रीलंका 66वें, बांग्लादेश 91वें और नेपाल 110वें नंबर पर आता है। हम सिर्फ अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से बेहतर हैं, जिसकी रैंकिंग 124 है।

यूरोप की बात

48 देशों से बना यह महाद्वीप दुनिया का सबसे विकसित हिस्सा माना जाता है। वैश्विक संसाधनों पर ज्यादातर इन्हीं देशों का कब्जा है। यहां के फ्रांस, पुर्तगाल, ब्रिटेन जैसे देशों का कभी सूरज ही नहीं डूबता था। इनकी संयुक्त आबादी 74 करोड़ 80 लाख है। कोरोना महामारी की दूसरी, तीसरी लहर झेल चुके इस महाद्वीप के 48 देशों में अब तक कुल 4.63 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 10.56 लाख लोग असमय काल के गाल में समा चुके हैं। अभी यहां महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। नए मामले आ रहे हैं।

उत्तरी अमेरिका की कहानी

कहने को तो इस महाद्वीप में अमेरिका जैसा दुनिया का सबसे ताकतवर देश है। कनाडा और मेक्सिको इस महाद्वीप के वैभव में चार चांद लगाते हैं। लेकिन महामारी ने इस महाशक्ति महाद्वीप को बौना कर दिया। इसको घुटने टेकने पर विवश होना पड़ा। 39 देशों से बने इस महाद्वीप की कुल आबादी 59.29 करोड़ है। अब तक यहां भी कोरोना महामारी की दो ज्यादा लहरें आ चुकी हैं। कुल 3.93 करोड़ संक्रमित मामलों में से 8.81 लाख की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य और जनसंख्या घनत्व में ये देश भारत से कहीं अच्छी स्थिति में हैं।

भारत का जबाव

पहली लहर में 97 हजार के चरम पर पहुंचकर मामले कम होते गए। और फरवरी में दैनिक मामले घटकर नौ हजार के करीब पहुंच गए। थोड़ी हमारी चूक और वायरस के कई प्रतिरूपों ने मिलकर दूसरी लहर को भयावह बना दिया। बड़ी आबादी के बावजूद मामलों और मौतों को थामने के पीछे हमारी जिजीविषा दिखती है। 139 करोड़ की आबादी में यहां अब तक कुल 2.59 करोड़ मामले हैं जिनमें 2.88 लाख लोग मारे गए हैं।

एक पहलू यह भी

विरल आबादी में कोविड प्रोटोकाल का अनुपालन अपेक्षाकृत सघन आबादी की तुलना में ज्यादा सहूलियत भरा होता है। हालांकि भारत में तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद लोगों ने महामारी के खिलाफ बहुत जिम्मेदारी भरा कदम उठाया है। भारत का जनसंख्या घनत्व 382 प्रति वर्ग किमी है। यानी एक वर्ग किमी में 382 लोग रहते हैं। इसकी तुलना में यूरोप और उत्तरी अमेरिका का जनसंख्या घनत्व दसवें हिस्से से भी कम है। यूरोप के लिए यह आंकड़ा 34 तो उत्तरी अमेरिका के लिए यह 20 है।

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