एफएनएन, देहरादून : अब आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की जनता को लुभाने की उत्तराखंड सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार की तर्ज पर बिजली के बिलों में भारी राहत देने की योजना है। प्रदेश में 100 यूनिट से कम बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं के बिजली के बिल माफ किए जाएंगे। वहीं, 101 से 200 यूनिट तक बिजली की खपत पर बिलों में 50 फीसद की छूट मिलेगी। सरकार की इस पहल से करीब साढ़े सात लाख उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा। नवनियुक्त ऊर्जा मंत्री डा हरक सिंह रावत ने बुधवार को ऊर्जा के तीनों निगमों के अधिकारियों के साथ बैठक में इस सिलसिले में प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट के समक्ष रखने के निर्देश दिए। हालांकि फिलहाल उत्तराखंड में बढ़ी दरों पर बिजली के बिल थमाए जा रहे हैं। इससे उपभोक्ता परेशान हैं। अभी तक उत्तराखंड में बिजली के बिलों के मुद्दों को आम आदमी पार्टी उठा रही थी। इसे लेकर पार्टी की ओर से प्रदर्शन किए जा रहे हैं। आप नेताओं का कहना है कि जब दिल्ली में मुफ्त बिजली दी जा सकती है तो ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड में क्यों नहीं दी जा रही है। इसके उलट बिजली की दरों को बढ़ाकर उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ थोपा गया है। हालांकि सरकार ने अब बिजली के बिल में छूट देने का निर्णय किया है, लेकिन जो दाम बढ़े हैं, उसे नजर अंदाज किया गया है। ऐसे में मुफ्त बिजली देने का दावा भी चुनाव के दौरान लोगों को लुभाने का है। फिलहाल लोग बढ़ी दरों से ही बिजली के बिलों का भुगतान कर रहे हैं। ऊर्जा भवन में हुई बैठक में विभागीय मंत्री डा. रावत ने ऊर्जा के तीनों निगमों के अधिकारियों से विद्युत उत्पादन, खपत समेत अन्य बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी ली।
हरक के अनुसार प्रदेश में करीब 23.50 लाख घरेलू विद्युत उपभोक्ता हैं, जबकि तीन लाख उपभोक्ताओं के पास व्यवसायिक कनेक्शन हैं। करीब साढ़े सात लाख उपभोक्ता ऐसे हैं, जो अमूमन 100 यूनिट से कम बिजली खर्च करते हैं। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इन परिवारों को मुफ्त बिजली देने के मद्देनजर मानक तय करने के साथ समग्र प्रस्ताव अविलंब तैयार किया जाए। बिजली बिलों के भुगतान में देरी पर विलंब शुल्क और सरचार्ज की वसूली से राहत की अवधि 31 अक्टूबर तक बढ़ाने का निर्णय किया गया है। अभी यह राहत सिर्फ 15 मई तक ही दी गई थी। डा. रावत के मुताबिक वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से ऊर्जा निगमों के ढांचे के पुनर्गठन से संबंधित प्रस्ताव तैयार करने को भी कहा गया है। ढांचे का पुनर्गठन होने पर ऊर्जा उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ ही अन्य समस्याओं का भी निदान हो सकेगा। प्रदेश में कृषि, बागवानी और डेयरी से जुड़े उद्यम रोजगार के लिहाज से एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरे हैं। इन उद्यमों को व्यवसायिक की बजाए घरेलू टैरिफ में शामिल करने के संबंध में भी प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। यह प्रस्ताव भी जल्द कैबिनेट में लाया जाएगा। देहरादून, हल्द्वानी और रुद्रपुर में बिजली की ओवरहैड लाइन को भूमिगत करने काम तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही लखवाड़ जलविद्युत परियोजना पर शासन स्तर पर लंबित कार्यवाही शीघ्र पूरी कर निर्माण कार्य शुरू करने के निर्देश विभागीय मंत्री ने दिए हैं। बैठक में ऊर्जा सचिव राधिका झा, ऊर्जा निगम व पारेषण निगम के प्रबंध निदेशक नीरज खैरवाल व जलविद्युत निगम के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल समेत तीनों निगमों के निदेशक व अन्य अधिकारी मौजूद थे।