एफएनएन, हरिद्वार: हरिद्वार में हरकी पौड़ी पर चार साल बाद गंगा मइया की वापसी होने जा रही है। उत्तराखंड सरकार के इस फैसले से देश-विदेश में फैले गंगा मइया के लाखों भक्त गद्गद हैं।
वैसे हो सकता है कि सरकार का यह फैसला आपको मजाक के अलावा और कुछ भी न लगे। आपका सोचना कुछ हद तक सही भी तो है। आप कहेंगे कि हरकी पौड़ी पर तो न जाने कब से गंगाजी बह ही रही है, तो ऐसे में हर की पौड़ी पर 4 साल बाद गंगा नदी की वापसी का क्या मतलब है?
दरअसल, दिसंबर 2016 में उत्तराखंड में जब कांग्रेस की हरीश रावत सरकार सत्ता में थी तो उस दौरान एक शासनादेश जारी किया गया था. शासनादेश यानी गवर्नमेंट ऑर्डर जिसमें कहा गया कि ‘सर्वानंद घाट से श्मशान घाट खड़खड़ी तक, वहां से हरकी पौड़ी होते हुए डामकोठी तक और डामकोठी के बाद सतीघाट कनखल से होते हुए दक्ष मंदिर तक बहने वाले भाग को इस्केप चैनल माना जाता है।’ यानी तत्कालीन उत्तराखंड सरकार ने हर की पौड़ी से पहले और हर की पौड़ी के बाद बहने वाली करीब 3 किलोमीटर गंगा नदी का नाम बदलकर ‘इस्केप चैनल’ कर दिया था।
साल 2017 में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार हुई और मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद अपना चुनाव भी दो-दो जगह से हार गए थे। इसमें एक सीट हरिद्वार ग्रामीण की शामिल थी। इसके बाद एक तरफ जहां हरीश रावत ने अपनी सरकार की तरफ से किए गए इस काम के लिए माफी मांगी, वहीं बीजेपी नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत जब मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर 17 दिन बाद हरिद्वार आए तो उन्होंने ऐलान किया कि कांग्रेस की सरकार ने गंगा नदी का नाम बदलने का जो गलत काम किया था उसको उनकी सरकार तुरंत सुधारने का काम करेगी।
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लगभग साढ़े 3 साल का समय बीत गया. इस दौरान हरिद्वार में कुंभ मेला 2021 की तैयारियां शुरू हो गईं. हरिद्वार के पुरोहित समाज के लोग हरकी पौड़ी पर बहने वाली धारा का नाम इस्केप चैनल से बदलकर फिर से गंगा करने की मांग करने लगे। हर की पौड़ी का प्रबंधन करने वाली संस्था श्री गंगा सभा भी लगातार सरकार से मांग करती रही कि हर की पौड़ी पर बहने वाली धारा का नाम इस्केप चैनल से बदलकर गंगा किया जाए।