- सुरक्षित सीट मानकर रुद्रपुर छोड़ किच्छा से ठोक रहे हैं दावेदारी
- पार्टी में ही विरोध के चलते कांटो से भरी है राह
एफएनएन, रुद्रपुर : पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ किच्छा को भले ही सुरक्षित सीट मान रहे हों, लेकिन यहां से उनकी राह इतनी आसान नहीं। वजह, पर्वतीय, पंजाबी और मुस्लिम वोटों से जुड़ी है, जिसमें मुख्यमंत्री रहते हरीश रावत को भी हार का मुंह देखना पड़ा था। उस समय भी पार्टी कार्यकर्ता अंदरखाने रावत का विरोध कर रहे थे, और आज भी वैसा ही माहौल है। ‘ बाहरी ‘ बताकर बेहड़ की राह में कांटे पैदा कर दिए गए हैं, ऐसे में इस सीट से बेहड़ का चुनाव जीतना इतना भी आसान नहीं। आपको बता दें कि किच्छा सीट पर करीब सवा लाख मतदाता हैं। सर्वाधिक 35 फीसद मुस्लिम वोट है। इसके बाद नंबर आता है पर्वतीय वोट का, जो करीब 30 प्रतिशत है। इसके अलावा पूर्वांचल, पंजाबी और देसी वोट भी 10-10 फीसद है। जो प्रत्याशी 30-32 हजार वोट पा जाएगा उसकी जीत तय है। पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री रहते हरीश रावत ने किच्छा सीट पर किस्मत आजमाई थी, लेकिन पर्वतीय और मुस्लिम वोटों का गठजोड़ नहीं हो पाया। रावत को मुस्लिम वोट तो पड़े लेकिन पर्वतीय वोट ने उनसे किनारा कर लिया, ऐसे में हरीश रावत को हार का सामना करना पड़ा। रुद्रपुर से मात खाने के बाद आगामी चुनाव में किच्छा से दावेदारी ठोक रहे बेहड़ पंजाबी वोट के साथ इस वोट को कितना सजो पाते हैं, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन पार्टी में उनको लेकर विरोध के स्वर साफ़ दिखाई दे रहे हैं। पूर्व दर्जा राज्यमंत्री हरीश पनेरु, संदीप सिंह, गणेश उपाध्याय, सरीखे नेता उनका विरोध कर रहे हैं। उन्हें बाहरी बताया जा रहा है। ऐसे में बेहड़ के लिए किच्छा की डगर आसान नहीं दिखती, हालांकि पूर्व मंत्री का कहना है कि वह किच्छा के रहने वाले हैं और किच्छा से पूर्व में विधायक भी रहे हैं, ऐसे में उन्हें लोगों का अच्छा समर्थन मिल रहा है।