- मोथरोवाला प्लांट में होगा ट्रीटमेंट, ₹63.75 करोड़ मंजूर
एफएनएन, देहरादून: रिस्पना नदी में अब गंदे और घरों का सीवर सीधे नहीं गिरेगा। पेयजल निगम सभी नालों और सीवर पाइपों को टेप करेगा और इनके गंदे पानी को मोथरोवाला स्थित सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में लेकर ट्रीटमेंट करेगा। इस काम के लिए नमामि गंगे परियोजना से 63.75 करोड़ रुपये स्वीकृति हुए हैं। पेयजल निगम की ओर से बाकायदा नालों और सीवर लाइन के पाइपों को टेप करना शुरू कर दिया है।
दरअसल, रिस्पना नदी में करीब 177 गंदे नाले और करीब तीन हजार घरों का सीवर सीधा गिरता है। रिस्पना नदी में गिरने वाले इन गंदे नालों, नालियों एवं घरों से गिरने वाले सीवर और तरल अपशिष्ट पदाथों को सीधे नदी में गिरने से रोकने दरअसल, रिस्पना नदी में करीब 177 गंदे नाले और करीब तीन हजार घरों का सीवर सीधा गिरता है। रिस्पना नदी में गिरने वाले इन गंदे नालों, नालियों एवं घरों से गिरने वाले सीवर और तरल अपशिष्ट पदाथों को सीधे नदी में गिरने से रोकने के लिए पेयजल निगम ने नमामि गंगे योजना के तहत प्लान तैयार किया है।
63.75 करोड़ की इस योजना के तहत नदी में गिरने वाले नालों और सीवर पाइपों को टेप किया जाएगा। इसके बाद इन नालों और सीवर को मोथरोवाला स्थित पूर्व निर्मित 40 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ले जाकर ट्रीटमेंट किया जाएगा। इसके लिए निगम 32 किमी की कैरियर लाइन बिछाएगा। साथ ही एक सीवर सीवेज पंपिंग स्टोशन का निर्माण किया जाएगा। योजना के पूरे होने से रिस्पना नदी, गंगोत्री विहार के डाउन स्ट्रीम सीवरेज मिलने से हो रहे प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी। पेयजल निगम 15 साल तक इसका रखरखाव का कार्य भी स्वयं ही करेगा। जून 2021 तक यह कार्य पूरा करने का लक्ष्य है।
बिंदाल के गंदे पानी को किया जाएगा टेप
रिस्पना में गिर रहे नालों और सीवर को टेप करने के साथ ही योजना के तहत बिंदाल के गंदे पानी को हरिद्वार बाईपास के पास टेप किया जाएगा। जहां से इस पानी को कारगी स्थित 68 एमएलडी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में ले जाकर ट्रीटमेंट किया जाएगा। इससे बिंदाल नदी, हरिद्वार बाईपास के नीचे सीवेज से हो रहे प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी।
काम शुरू, तय समय मेंं पूरी होगी परियोजना
परियोजना को स्वीकृति मिलने के बाद काम भी.शुरू करवा दिया गया है। अगले वर्ष जून तक निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। कोशिश की जाएगी कि तय समय में परियोजना पूरी हो सके। जिससे रिस्पना और बिंदाल नदियां प्रदूषण से मुक्त हो सकें।
–दीपक मलिक, ईई, दून डिवीजन