Saturday, April 20, 2024
spot_img
spot_img
spot_img
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
spot_img
Homeराज्यउत्तर प्रदेशखीरी में किसान ने गांव में बाजार के लिए दी जमीन, कटवा...

खीरी में किसान ने गांव में बाजार के लिए दी जमीन, कटवा दी अपनी गन्ने की खड़ी फसल

  • जिले के रामेश्वरपुर ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान ज्वाला देवी की ख्वाहिश थी कि गांव की बाजार लगती रहे और रोजमर्रा की चीजें आसानी से महिलाओं और बुजुर्गों को मिल सके, इसलिए उन्होंने अपनी तैयार गन्ने की फसल कटवा दी और गांव वालों को मुफ्त बाजार लगाने के लिए 5 बीघा खेत खाली कर दिया।

अब्दुल सलीम खान, लखीमपुर खीरी : यह किसान का ही दिल है कि वह अपने गांव वालों के लिए अपने खेत में खड़ी फसल इसलिए कटवा दे कि गांव की पुरानी जगह पर बाजार नहीं लग पा रही थी जिससे लोगों को रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए कई किलोमीटर सफर करके जाना पड़ता था ।
जिले के गोला तहसील इलाके में शारदा नदी के कटान से प्रभावित ग्राम पंचायत रामनगर कलां और रामेश्वरापुर में लगने वाली बाजार कई सप्ताह से नही लग पा रही थी। वजह थी कि जिज़ जगह पर बाजार लग रही है, वो खेल का मैदान था, नदी कटान में गांव आने पर इस जगह पर स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, बने कटान पीड़ित भी बस गए, और बाजार भी लगती रही। इस स्थान पर जगह कम होने और आवारा पशुओं का ठिकाना बन जाने से लोग बाजार आने से कतराने लगे। इस वजह से अब बाजार में दुकानें आनी बन्द हो गईं।

गांव के मर्द बाहर जाते हैं मजदूरी करने, घर पर महिलाओं को करनी होती है हाट-बाजार

लखीमपुर : दम्बल टांडा, रैनगंज, दौलतापुर, रामनगर कला ऐसे गांव है। जिनमे अधिकांश लोगों की खेती-बाड़ी नदी में समा चुकी है, लोग बेघर हो चुके है। ऐसे में यहां ज्यादातर ग्रामीण मजदूरी करने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली चले जाते हैं। ऐसे में घरों पर बच्चे, महिलाएं या छोटे बच्चे ही हाट- बाजार कर घरों के लिए दैनिक जरूरत की चीजें लेकर आते हैं। लेकिन गांव में बाजार न लगने से बाजार करने के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता था । इन दिक्कतों को देखते हुए गांव की पूर्व प्रधान ज्वाला देवी और उनके पति कल्लू सिंह ने अपने बेटे पीएन सिंह से मशवरा कर वालों की भलाई के लिए अपना खेत बाजार उपयोग के लिए देने का फैसला किया। पीएन सिंह ने बस्ती के नजदीक अपने खेत में बाजार लगाने के लिए पांच बीघा गन्ना की फसल मंगलवार को कटवा दी। गांव वालों से कहा कि उनकी जगह में वह लोग मुफ़्त बाजार लगा सकते है।

कभी काफी मशहूर थी रैनागंज गांव की बाजार

रैनागंज की बाजार बुधवार और शनिवार को पशुबजार लगती थी। लेकिन अब पशुओं की खरीद-फरोख्त बंद हो चुकी है, लेकिन फिर भी बाजार का स्वरूप बाकी है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

CommentLuv badge

Most Popular

Recent Comments