Sunday, December 3, 2023
spot_img
spot_img
03
WhatsAppImage2023-01-25at25116PM
KrishnaHospital20x101
previous arrow
next arrow
Shadow
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
Homeराष्ट्रीयइसरो: 23 सितंबर को फिर से एक्टिव हो सकते हैं चंद्रयान-3 के...

इसरो: 23 सितंबर को फिर से एक्टिव हो सकते हैं चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर! जानिए क्या बोले अंतरिक्ष विज्ञानी

एफएनएन, बंगलुरू:  इसरो का चंद्रयान-3 मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है, लेकिन ऐसी खबर आ रही है कि यह मिशन अब फिर से शुरू हो सकता है। दरअसल इसरो के अंतरिक्ष विज्ञानियों का कहना है कि 23 सितंबर को चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर फिर से एक्टिव हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है कि चंद्रयान का रोवर चांद की सतह पर और प्रयोगात्मक डाटा इसरो को भेज सकता है।

सोलर पैनल्स की मदद से फिर से एक्टिव हो सकते हैं लैंडर और रोवर
इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक निलेश देसाई ने बताया कि ‘बीती तीन सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर रात ढलने के चलते चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को स्लीप मोड में डाल दिया गया था। निलेश देसाई ने बताया कि लैंडर और रोवर पर सोलर पैनल लगाए गए हैं और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर दिन निकलने पर रिचार्ज हो सकते हैं।’ निलेश देसाई ने बताया कि ‘हमारी योजना के मुताबिक 23 सितंबर को लैंडर विक्रम और रोवर रिवाइव हो सकते हैं। चांद पर अब दिन निकलना शुरू हो गया है। हालांकि ये देखने वाली बात होगी कि रात के दौरान जब चांद की सतह पर तापमान माइनस 120 से माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है तो क्या सोलर पैनल फिर से ठीक काम कर पाएंगे या नहीं।’

देसाई ने कहा कि ‘हम इसकी उम्मीद कर रहे हैं कि लैंडर पर मौजूद चार सेंसर्स और रोवर पर मौजूद दो सेंसर्स में से कुछ फिर से काम करना शुरू कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो हम आगे भी चांद पर नए प्रयोग कर पाएंगे।’ बता दें कि चांद पर धरती के 14 दिनों के बराबर दिन और रात होते हैं। मतलब वहां 14 दिनों तक दिन होता है और उतने ही दिनों तक रात। जब चंद्रयान 3 का लैंडर चांद पर उतरा था तो उस वक्त चांद पर दिन निकल रहा था। यही वजह रही कि 14 दिनों तक काम करने के बाद लैंडर और रोवर स्लीप मोड में चले गए थे।

इसरो के पास पहले से ही काफी डाटा मौजूद
अंतरिक्ष विज्ञानी डॉ. आरसी कपूर से जब लैंडर और रोवर के फिर से एक्टिव होने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘लैंडर और रोवर अपना काम कर चुके हैं। जब दोनों को स्लीप मोड में डाला गया तो दोनों के सभी उपकरण सही तरीके से काम कर रहे थे। इसरो को पास पहले से ही काफी डाटा इकट्ठा हो गया है। हो सकता है कि उपकरण पहले जैसी कंडीशन में फिर से काम ना कर सकें लेकिन फिर भी कुछ उम्मीद बाकी है। हो सकता है कि हमें अच्छी खबर मिल जाए। चांद पर दिन निकलना शुरू हो गया है। रोवर को पहले से ही इस तरह से रखा गया है कि जब सूरज निकले तो उसकी रोशनी सीधे रोवर के सोलर पैनल्स पर पड़े।’

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments