Friday, March 29, 2024
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कांग्रेस में ‘ खेला होवे ‘, कार्यवाहक जिलाध्यक्ष निभा रहे महानगर अध्यक्ष की भूमिका

  • पार्टी रुद्रपुर तक सिमटी, मिशन 2022 की चुनौती पर सवाल
  • अंदरूनी कलह और सियासत कर सकती है पार्टी का बंटाधार

एफएनएन, रुद्रपुर : पश्चिम बंगाल में ‘ खेला होवे ‘ का परिणाम आपके सामने हैं, लेकिन ऊधमसिंह नगर कांग्रेस में जो ‘ खेला ‘ हो रहा है उसका नतीजा 2022 में आना बाकी है। जो कुछ चल रहा है वह पूत के पांव पालने में दिखने जैसा है। अपने पद और अपनी ढपली के साथ नजर आ रहे खेमे में बटे नेताओ का रिमोट हल्द्वानी से संचालित हो रहा है। ऐसे में कार्यवाहक जिलाध्यक्ष महानगर अध्यक्ष की भूमिका में हैं और पार्टी की दशा और दिशा भूल रुद्रपुर तक सीमित रह गए हैं। बड़ा सवाल है कि पार्टी में वरिष्ठता का सम्मान न होना, मतभेद के साथ मनभेद भी दिखना, एक-दूसरे को नीचा दिखाने की परंपरा का पुनः शुरू होना, क्या कांग्रेस की नैया पार लगा पाएगा ? दबी जुबान से खुद कांग्रेसी ही कहने लगे हैं कि यही हालत रहे तो 2017 से भी बदतर स्थिति होते देखेंगे।
कांग्रेस में हाईकमान से लेकर जिला स्तर तक कमेटियों में बिखराव साफ देखा जा सकता है। वजह, जिसके पास जो जो पद है वह अपनी राह है। गुटबाजी के चलते नारायण सिंह बिष्ट को हटाकर सोनू शर्मा को जिलाध्यक्ष बनाया गया लेकिन वह बाजपुर तक ही सिमटकर रह गए। उनका एक भी कार्य पार्टी की सिद्धि प्रसिद्धि के लिए नजर नहीं आया। खुद सोनू शर्मा ने ही असहजता दिखाई तो पार्टी ने कार्यवाहक जिला अध्यक्ष का नया पद बना डाला। इस पद पर ताजपोशी की गई प्रदेश महामंत्री हिमांशु गाबा की। पार्टी का यह फैसला न सिर्फ हास्यास्पद था, बल्कि हिमांशु गाबा का बड़ा डिमोशन भी। लेकिन हिमांशु गाबा इसमें खुश नजर आए ? अपने शहर रुद्रपुर को उन्होंने पोस्टरों से पाट दिया। होल्डिंग और यूनीपोल पर भी उनके फोटो चस्पा नजर आए। आखिर यह समझ नहीं आया कि कार्यवाहक गाबा को भला इस फैसले में प्रमोशन जैसा क्या दिखा ? खैर, हो सकता है पार्टी ने इसमें ही उनकी भलाई समझी हो, या पार्टी की मजबूती देखी हो, लेकिन लोगों को यह बात पच नहीं रही। अब जबकि उनकी ताजपोशी को करीब 2 माह हो चुके हैं, पार्टी में नई सियासत शुरू हो गई है। हिमांशु गाबा सिर्फ रुद्रपुर महानगर को अपना केंद्र बनाए बैठे हैं। रुद्रपुर के अलावा उन्हें और कुछ नजर नहीं आता, शायद इसीलिए जो कार्यक्रम महानगर कांग्रेस कमेटी आयोजित करती है, वह उसमें शामिल न होकर अपना अलग राग अलापने लगते हैं। उदाहरण के तौर पर जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि का कार्यक्रम भी देखा जा सकता है, इसके साथ ही कोरोना काल में भी महानगर कांग्रेस कमेटी और जिला कांग्रेस कमेटी ने अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए। अब स्थिति यह है कि दोनों ही अपने-अपने कार्यक्रमों में एक-दूसरे को नहीं बुलाते। ऐसे में जबकि चुनाव निकट हैं, पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता दबी जुबान से ही सही पर विरोध करने लगे हैं। खास बात यह है कि जिला कमेटी ने वरिष्ठता को भी दरकिनार कर दिया है। तमाम कार्यक्रमों में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलकराज बेहड़ तक को आमंत्रित नहीं किया गया, जबकि कार्यक्रम महानगर रुद्रपुर में ही आयोजित किए गए। ऐसे में कांग्रेस 2022 की नैया कैसे पार लगा पाएगी, यह बड़ा सवाल है ? पार्टी के जमीन से जुड़े कार्यकर्ता कहते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को चाहिए कि मनभेद दूर करें, अन्यथा 2017 से भी बुरी स्थिति से गुजरना पड़ेगा। यहां यह भी बता दें कि हिमांशु गाबा रुद्रपुर महानगर के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। जब उन्हें पद से हटाया गया तो वह कोप में चले गए थे, इसके बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने उन्हें प्रदेश में महामंत्री का दायित्व देकर खुश करने की कोशिश की थी, लेकिन रुद्रपुर की टीस उनमे अभी भी बनी हुई है।

…तो पार्टी के वरिष्ठ नेता ही बने हैं गुटबाजी के सिरमौर

सूत्रों की मानें तो पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता ही गुटबाजी की बड़ी वजह हैं। जमीन से जुड़े नेताओं को दरकिनार कर यह अराजकता फैला रहे हैं। इन वरिष्ठ नेताओं का निशाना यहां के कुछ सीनियर लीडर भी हो सकते हैं, जिनको नीचा दिखाने की कोशिशें चल रही हैं। रिमोट देहरादून से घूम रहा हो या हल्द्वानी से, लेकिन पार्टी में चल रही गुटबाजी आगामी चुनाव में बड़ी बाधा बनेगी।

 

खराब ऑक्सीमीटर से लोगों का ब्लड प्रेशर हाई, आलोचनाएं बनी कांग्रेस का वाई-फाई

कोरोना काल में भी पार्टी की नीयत सामने आ गई। गरीबों और असहाय के लिए जो ऑक्सीमीटर जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से बांटे गए, वह पूरी तरीके से खराब निकले। जो लोग इन्हें लेकर गए, उन्होंने इन्हें कूड़े में फेंकने के अलावा कुछ नहीं किया। ऐसे में पार्टी की छवि धूमिल हुई। इससे अच्छा होता कि ऑक्सीमीटर बाटे ही न जाते। दिखावे के लिए चंद खराब ऑक्सीमीटर रखकर फोटो खिंचवाने और छपवाने की परंपरा ने ऐन चुनाव से पहले पार्टी पर तमाम सवाल खड़े कर दिए। वहीं रम्पुरा में पिछले दिनों हमदर्दी के नाम पर दिया गया एक एक केला, वहां लगे मेला से फिसल गया। कांग्रेसियों ने यहां सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान नहीं रखा और बाद में वीडियो वायरल होने के बाद आफत इनके गले पड़ गई।

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