एफएनएन, नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच गतिरोध को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। कृषि कानूनों के विरोध में देश के अन्नदाता 45 दिनों से ज्यादा समय से दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। गतिरोध को खत्म करने के लिए आठ दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कृषि कानूनों के मुद्दे पर कोई नतीजा नहीं निकल सका है। दिल्ली की सीमा पर धरने पर बैठे किसानों ने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में किसान परेड निकाल कर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है। नवंबर अंत में शुरू हुए प्रदर्शन के बाद अब तक कई किसानों की जान जा चुकी है। प्रदर्शनकारी किसान कृषि कानूनों को रद्द करने से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा कि हम ये नही कह रहे हैं कि आप कानून को रद्द करें, हम बहुत बेतुकी बातें सुन रहे हैं कि कोर्ट को दखल देना चाहिए या नहीं। हमारा उद्देश्य सीधा है कि समस्या का समाधान निकले। हमने आपसे पूछा था कि आप कानून को होल्ड पर क्यों नहीं रख देते? उन्होंने कहा कि हम समझ नही पा रहे हैं कि आप समस्या का हिस्सा है या समाधान का? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से दो टूक पूछा कि क्या आप कानून को होल्ड कर रहे हैं या नहीं? अगर नहीं, तो हम कर देंगे।
प्रधान न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए केंद्र से कहा, “हम आपसे बहुत निराश हैं। आपने कहा कि हम बात कर रहे हैं. क्या बात कर रहे हैं? किस तरह का निगोशिएशन कर रहे हैं। सरकार को यह कहने में मदद नहीं मिलेगी कि दूसरी सरकार ने इसे शुरू किया था। आप किन वार्ताओं के बारे में बात कर रहे हैं। हम कानून की मेरिट पर नहीं हैं। हम कानून को वापस लेने पर नहीं हैं. यह बहुत नाजुक स्थिति है.”
सीजेआई ने कहा कि आप हमको बताइए कि आप कानून को लागू करने पर रोक क्यों नही लगा सकते। अगर आप नहीं करेंगे तो हम करेंगे। उन्होंने कहा कि रोज़ हालात खराब हो रहे हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों ने बुज़ुर्ग और महिलाओं को भी आंदोलन में शामिल किया हुआ है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बोबडे ने कहा कि हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं। विरोध जारी रह सकता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या विरोध इसी जगह पर होना चाहिए? हमें लगता है कि जिस तरह से धरना प्रदर्शन पर हरकतें ( ढोल नगाड़ा आदि) हो रही है, उसे देख कर लगता है एक दिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ घटित हो सकता है। हम नहीं चाहते कि कोई घायल हो। उन्होंने कहा कि कोर्ट किसी भी नागरिक को ये आदेश नहीं दे सकता कि आप प्रदर्शन न करें, हां ये जरूर कह सकता कि आप इस जगह प्रदर्शन ना करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित हो कि प्रदर्शन में कोई हिंसा या ब्लड बॉथ ना हो। कहा कि अगर जाने अनजाने में कुछ भी ग़लत होता है तो इसके लिए सभी ज़िम्मेदार होंगे। किसी भी क्षण छोटी-सी चिंगारी से हिंसा भड़क सकती है।