एफएनएन, ऩई दिल्लीः केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ बड़ी संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को किसान आंदोलन का 16वां दिन है और बीते दिनों से किसान सरकार से कानूनों को रद्द किए जाने की मांग कर रहे हैं। किसान नेताओं और सरकार के मंत्रियों के बीच कम से कम पांच दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह से बैठक के बाद किसानों को प्रस्ताव भेजा गया था, जिन्हें उन्होंने खारिज कर दिया।
कृषि कानूनों के समर्थन में देश भर में जनजागरण करेगी भाजपा
तीनों कृषि कानूनों के भारी विरोध के बीच अब भारतीय जनता पार्टी ने बड़े पैमाने पर जनजागरण अभियान चलाने की तैयारी की है। सात सौ से अधिक स्थानों पर प्रेस कांफ्रेंस और किसान चौपाल के जरिए किसानों के लिए बने कानूनों पर फैलाई गई भ्रांतियों को तथ्यों के जरिए पार्टी नेता दूर करेंगे।
उधर, इन तीन कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों ने अब देशभर में रेल ट्रैक पर धरना देने का फैसला किया है। हालांकि उन्होंने अभी यह साफ नहीं किया है कि यह कब किया जाएगा। कुंडली बार्डर पर गुरुवार को प्रेस वार्ता के दौरान मोर्चा के सदस्य बूटा सिह बुर्जगिल ने कहा कि उनकी ओर से सरकार को दस दिसंबर तक कृषि कानूनों को रद्द करने की मोहलत दी गई थी, लेकिन सरकार ने कुछ भी नहीं किया है। लिहाजा अब हर रेलवे ट्रैक पर धरना दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसको लेकर अभी कोई दिन निश्चित नहीं किया गया है। इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जल्द तारीख जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि 12 दिसंबर शनिवार को पंजाब समेत देशभर के सभी टोल प्लाजा को एक दिन के लिए फ्री कर दिया जाएगा। वहीं, 14 दिसंबर को पंजाब के सभी जिलों में डीसी दफ्तरों के बाहर धरने दिए जाएंगे।
सिंधु बार्डर पर दो पुलिस कर्मी कोरोना पाजिटिव
वहीं, दूसरी ओर किसान आंदोलन पर कोरोना वायरस का साया पड़ने लगा है। दरअसल, सिंघु बॉर्डर पर तैनात दो पुलिसकर्मी पॉजिटिव पाए गए हैं। किसानों ने ऐलान किया है कि उनका आंदोलन और तेज होने वाला है। आने वाले दिनों में वे देश में विरोध प्रदर्शन करेंगे और कई हाईवे को ब्लॉक करेंगे। किसानों के आंदोलन के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार किसानों से और बातचीत करने के लिए तैयार है। इसके साथ ही, उन्होंने किसानों से आंदोलन को खत्म करने की अपील भी की है।
किसानों के मंच से लहराए खालिद-शरजील की रिहाई के पोस्टर-बैनर?
किसान आंदोलन के दौरान एक तस्वीर और वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें बड़ी संख्या में बड़े प्रदर्शनकारी अपने हाथों में दिल्ली दंगों के आरोपियों में शामिल उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफ जैसे आरोपियों के पोस्टर अपने हाथ में लेकर उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। टिकरी बॉर्डर से कुछ ही दूरी पर भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) के कार्यक्रम में मंच से उमर खालिद, शरजील इमाम के अलावा यलगार परिषद के गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव और आनंद तेलतुंबडे जैसे अरबन नक्सलियों के पोस्टर-बैनर भी खूब लहराए गए।
लोग पूछ रहे हैं सवाल?
ट्वीटर पर वायरल हो रही तस्वीरों और वीडियो को शेयर कर लोग सवाल पूछ रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने ट्वीट करते हुए सवाल किया, ‘उमर खालिद और शरजील इमाम कब से किसान हो गए? हम किसानों से तो बात करेंगे लेकिन उमर और शरजील भारत विरोधी मानसिकता को दर्शाते हैं। ऐसे लोगों के लिए सही जगह जेल ही है।’ भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट में लिखा, ‘किसान आंदोलन में आईबी ऑफिसर अंकित शर्मा के हत्यारों और छतीसगढ़ में 112 सीआरपीएफ जवानों के कातिलों की रिहाई की मांग? ‘
संयुक्त किसान मोर्चा की सफाई, मानवाधिकार दिवस पर था कार्यक्रम
इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य डा. दर्शन पाल ने सफाई दी है। बोले- अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर टीकरी बार्डर पर कार्यक्रम हुआ था। कुछ संगठनों ने मानवाधिकार दिवस पर इस सरकार या इससे पहले की सरकार के समय में मानवाधिकार के नियमों के उल्लंघन को दिखाया होगा। दावा किया कि ये लोग किसी पार्टी से जुड़े हुए नहीं हैं।
लोग बोले- अब कार्रवाई करने का समय
रेनुका राजपूत नाम की एक ट्वीटर यूजर ने लिखा, ‘अब यह सख्त कार्रवाई करने का समय है, है ना? यह अब किसानों का आंदोलन नहीं रहा बल्कि मेहनतकश किसानों के भेष में भारत विरोधी ताकतों का जमावड़ा है। यह नाटक शरजील इमाम, उमर खालिद, गौतम नवलखा, वरवरा राव आदि के लिए हो रहा है।’