Tuesday, May 30, 2023
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Homeआस्था5 जुलाई को पड़ने जा रहा चंद्र ग्रहण, जानिए क्या पड़ेगा प्रभाव

5 जुलाई को पड़ने जा रहा चंद्र ग्रहण, जानिए क्या पड़ेगा प्रभाव

एफएनएन, नई दिल्ली :  5 जुलाई 2020, रविवार को फिर चंद्र ग्रहण हो रहा है। इस साल का यह तीसरा चंद्र ग्रहण है। महीनेभर में ये दूसरा चंद्र ग्रहण है। 30 दिन पहले 5 जून को भी चंद्र ग्रहण लगा था। इस बारे में जानकारों का कहना है कि ये चंद्र ग्रहण एक उपछाया ग्रहण होगा इसलिए इसका ज्योतिष शास्त्र के अनुसार असर न के बराबर होगा। भले ही इसका दुष्प्रभाव नहीं होगा। लेकिन इसके बावजूद सावधानी रखने को कहा जाता है। इस चंद्र ग्रहण की उपछाया को धनुर्धारी चंद्रग्रहण भी कहते हैं। 5 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा रहेगी। ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा और इसका धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा, इस वजह से पूर्णिमा से संबंधित सभी पूजन कर्म किए जा सकेंगे।

क्या है चंद्रग्रहण का समय

5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा हैं, इस दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण की शुरूआत सुबह 08 बजकर 38 मिनट पर होगी। इसका परमग्रास समय 09 बजकर 59 पर होगा। जबकि इसका मोक्ष काल दिन में 11 बजकर 21 मिनट पर होगा। इस हिसाब से पूरे चंद्र ग्रहण का कुल समय 02 घण्टा 43 मिनट 24 सेकेंड है। इस समय व्यक्ति को ईश्वर का ध्यान करना चाहिए, खासकर श्रीकृष्ण मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” या “श्रीकृष्णाय श्रीवासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणतरूक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमरू” मंत्र का जाप कर सकते हैं। इस समय धार्मिक और मांगलिक कार्यों को न करने की सलाह दी जाती है।

कहां दिखेगा ये चंद्र ग्रहण

गुरुपूर्णिमा को लगने वाला ये चंद्र ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, इरान, ईराक, रूस, चीन, मंगोलिया और भारत के सभी पड़ोसी देशों को छोड़कर शेष पूरी दुनिया में दिखाई देगा। इसलिए इसका सूतक भी भारत में मान्य नहीं होगा। इसके बाद 30 नवंबर को भी ऐसा मांद्य चंद्र ग्रहण होगा।

चंद्र ग्रहण का प्रभाव

जानकारों के अनुसार, सूर्य ग्रहण का प्रभाव 21 जून से 21 दिनों तक रहता है लेकिन इस बीच 5 जुलाई को चंद्र ग्रहण लगने से परिस्थितियों में बदलाव आ सकता है। या यूं कहे कि बिगड़ सकती हैं। हालांकि इससे घबराने की कोई बात नहीं है। दरअसल, जानकर मानते हैं कि एक महीने के अंदर कितने भी ग्रहण लगे हों, उन्हें एक ही माना जाता है क्योंकि ये सभी पूर्ण नहीं होते, इन तीनों ग्रहण में से सिर्फ सूर्य ग्रहण ही पूर्ण ग्रहण था, इसलिए इसी का प्रभाव ज्यादा मायने रखता है।

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