Friday, March 29, 2024
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Homeराज्यउत्तराखंडमुख्यमंत्री की रेस में निशंक का नाम सबसे आगे

मुख्यमंत्री की रेस में निशंक का नाम सबसे आगे

एफएनएन, देहरादून : केंद्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री हो सकते हैं। मुख्यमंत्रियों की रेस में वह सबसे आगे चल रहे हैं। “निशंक” भारतीय जनता पार्टी से संबंधित एक भारतीय राजनेता हैं। वे 2009 से 2011 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। वे वर्तमान में 16 वीं लोक सभा में संसद सदस्य हैं। वे लोकसभा में उत्तराखंड के हरिद्वार संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। डॉ. रमेश पोखरियाल का जन्म 15 अगस्त, 1959 को पिनानी ग्राम, तहसील चौबट़टाखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल तत्कालीन उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) में हुआ था। उनके पिता परमानन्द पोखरियाल और माता विश्वम्भरी देवी हैं। इनकी पत्नी का नाम कुसुमकान्‍ता पोखरियाल है। डॉ. रमेश पोखरियाल 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कर्णप्रयाग निर्वाचन-क्षेत्र से चुने गए थे। इसके बाद 1993 और 1996 में पुनः उसी निर्वाचन-क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। 1997 में वे उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के उत्तरांचल विकास मंत्री बनें। सन् 2002 में उन्होंने उत्तरांचल विधान सभा के लिए थालिसियाँ निर्वाचन-क्षेत्र से चुनाव लड़ा पर वे हार गए। फिर 2007 में वे उसी निर्वाचन-क्षेत्र से उत्तराखण्ड विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।

  • इनकी महत्त्वपूर्ण राजनीतिक यात्रा निम्न प्रकार हैं-

-पृथक् उत्‍तराखण्‍ड राज्‍य निर्माण हेतु सन् 1978 से संघर्षरत।
-सन् 1987 में उत्‍तराखण्‍ड प्रदेश संघर्ष समिति के केन्‍द्रीय प्रवक्‍ता चयनित हुए।
-उत्‍तराखण्‍ड राज्‍य निर्माण में सक्रिय भूमिका ।
-ख़ासतौर से उधमसिंह नगर व हरिद्वार को उत्‍तराखण्‍ड में मिलाए जाने में उल्‍लेखनीय योगदान ।
-सन् 1991, 1993 व 1996 में लगातार तीन बार कर्णप्रयाग, विधानसभा क्षेत्र से उत्‍तर प्रदेश की विधानसभा हेतु निर्वाचित।
-उत्‍तर प्रदेश विधानसभा की अनेक समितियों के सदस्‍य तथा अध्‍यक्ष नामित।
-सन् 1997 में अविभाजित उत्‍तर प्रदेश में पर्वतीय विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।
-सन् 1998 में अविभाजित उत्‍तरप्रदेश में संस्‍कृति, पूत, धर्मस्‍व व कला विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे।
-9 नवंबर, 2000 को उत्‍तराखण्‍ड प्रदेश के गठन के उपरान्‍त उत्‍तराखण्‍ड सरकार में वित्‍त, ग्रामीण विकास, पेयजल, चिकित्‍सा शिक्षा व राजस्‍व सहित बारह विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे।
-सन् 2007 में थलीसैंण विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उत्‍तराखण्‍ड की गौरवशाली विधानसभा हेतु निर्वाचित।
-2007 में उत्‍तराखण्‍ड सरकार में स्‍वास्‍थ्‍य, परिवार कल्‍याण, आयुष, आयुष शिक्षा, विज्ञान व प्रौद्योगिकी एवं भाषा विभाग के केबिनेट मंत्री रहे।
2009 – 2011 सदन के नेता, उत्तराखंड विधान सभा।
-27 जून, 2009 को उत्‍तराखण्‍ड के पाँचवे यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री पद पर आसीन हुए और कार्यकाल 11 सितम्बर, 2011 तक चला।
2014 वे उत्तराखंड के हरिद्वार निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की रेणुका रावत को हराकर 16 वीं लोक सभा के लिए चुने गए।
2014 वे उत्तराखंड के हरिद्वार निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की रेणुका रावत को हराकर 16 वीं लोक सभा के लिए चुने गए।
साहित्यिक पृष्‍ठभूमि
डॉ. रमेश पोखरियाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ हिन्दी के साहित्यकार भी हैं। इन्होंने अनेक कविता, उपन्यास और कथा संग्रह लिखे। इनकी कृतियाँ का संग्रह निम्न प्रकार है-
अन्य भाषाओं में अनुवाद
मद्रास विश्‍वविद्यालय द्वारा हिन्‍दी विभागाध्‍यक्ष डॉ. सैयद रहमतुल्‍ला के सानिध्‍य में “ए वतन तेरे लिए” व “खडे हुए प्रश्‍न” का तमिल व तेलुगु भाषाओं में अनुवाद।
प्रोफेसर कुन्‍दा पेडनेकर व श्री विलास गीते के सानिध्‍य में “खडे हुए प्रश्‍न” व “क्‍या नहीं हो सकता” का मराठी में अनुवाद।
हैम्‍बर्ग विश्‍वविद्यालय द्वारा “बस एक ही इच्‍छा”, “प्रतिक्षा” व “तुम और मै” कृतियों का जर्मनी में अनुवाद। अनेक कृतियां पाठ्याक्रमों में सम्मिलित।
“भीड साक्षी है” कृति का अंग्रेज़ी में अनुवाद व बर्लिन, जर्मनी में अंग्रेज़ी के सुविख्‍यात लेखक डेविड फ्राउले द्वारा विमोचन।
प्रो. आरेन्‍सकाया तांतनियां द्वारा कहानियों का रशियन में अनुवाद।
प्रकाशनाधीन कृतियाँ
धरती का स्‍वर्ग उत्‍तराखण्‍डः भाग 1- पावन गंगा एवं उत्‍तराखण्‍ड की नदियाँ
धरती का स्‍वर्ग उत्‍तराखण्‍डः भाग 2- अतुल्‍य हिमालय
पल्‍लवी (उपन्‍यास)
अपना-पराया (उपन्‍यास)
शक्तिरूपा (उपन्‍यास)
नन्‍दा-दि हिमालयन गॉडेस (हिमालय का महाकुम्‍भ-नन्‍दा राजजात का अंग्रेज़ी अनुवाद)
पत्रकारिता व अन्य गतिविधियाँ
विगत तीस वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत व 23 वर्षों से “दैनिक सीमान्‍त वार्ता” के प्रधान सम्‍पादक।
“नई चेतना” शोध संस्‍थान के संस्‍थापक निदेशक।
“नई राह नई चेतना” शोध पत्रिका के सम्‍पादक।
कई राष्‍ट्रीय व स्‍थानीय पत्र-पत्रिकाओं से सम्‍बद्व।
अनेक राष्‍ट्रीय एवं स्‍थानीय पत्र-पत्रिकाओं में निरन्‍तर कविताएं, कहानियां और लेख प्रकाशित।
परम हिमालय निधी न्‍यास के संस्‍थापक अध्‍यक्ष।
वर्तमान में दो दर्जन से अधिक सामाजिक, साहित्यिक, सांस्‍कृतिक संस्‍थाओं से जुडे हुए हैं।

  • सम्‍मान

देश हम जलनें न देंगे कृति हेतु तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह द्वारा राष्‍ट्रपति भवन में सम्‍मानित।

मातृभूमि के लिए’ कृति हेतु तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा द्वारा राष्‍ट्रपति भवन में सम्‍मानित।

‘ऐ वतन तेरे लिए’ कृति के विमोचन के अवसर पर तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्‍दुल कलाम द्वारा राष्‍ट्रपति भवन में संस्‍कृति संस्‍था के सौजन्‍य से ‘साहित्‍य गौरव’’ सम्‍मान से सम्‍मानित।
अर्न्‍तराष्‍ट्रीय मुक्‍त विश्‍वविद्यालय, कोलम्‍बो (श्रीलंका) द्वारा आयुष के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय कार्य हेतु दुनिया के 99 देशों के प्रतिनिधियों के मध्‍य सम्‍मान व ‘’डॉक्‍टर ऑफ साईन्‍स’’ की मानद उपाधि।
‘राष्‍ट्रधर्मिता और कवि निशंक’ कृति के विमोचन अवसर पर तत्‍कालीन उपराष्‍ट्रपति श्री भैंरों सिंह शेखावत द्वारा सम्‍मानित।
‘खड़े हुए प्रश्‍न’ कृति के विमोचन- अवसर पर भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा ‘साहित्‍य भारती’ सम्‍मान।
‘कोई मुश्किल नही’ कृति के विमोचन- अवसर पर प्रसिद्व् फिल्‍म निर्माता डॉ. रामानन्‍द सागर द्वारा ‘साहित्‍य चेता’ सम्‍मान।
राष्‍ट्रभक्ति से ओत-पोत रचनाओं हेतु राष्‍ट्रीय एवं अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रख्‍यात महानुभावों एवं संस्‍थाओं द्वारा सम्‍मानित।
हैम्‍बर्ग विश्‍वविद्यालय जर्मनी के अतिरिक्‍त हॉलैण्‍ड, नॉर्वे, रूस सहित कई यूरोपीय देशों व विश्‍वविद्यालयों द्वारा साहित्‍य के क्षेत्र में उत्‍कृष्‍ट कार्य हेतु सम्‍मानित।
‘भारत अर्न्‍तराष्‍ट्रीय मैत्री समिति’ द्वारा भारत गौरव सम्‍मान-2007।
हिमालय लोक कला संस्‍थान, नई दिल्ली द्वारा साहित्‍य भूषण सम्‍मान।
उत्‍तराखण्‍ड उत्‍थान समिति, हरिद्वार द्वारा “गढ रत्‍न” सम्‍मान।
हिमालय रक्षा मंच, चण्‍डीगढ द्वारा “हिमपुत्र” सम्‍मान।
उत्कृष्ट साहित्‍य सेवा के लिये अर्न्‍तराष्‍ट्रीय मुक्‍त विश्‍वविद्यालय, कोलम्‍बो (श्रीलंका) द्वारा ‘’डॉक्‍टर ऑफ लिटरेचर’’ सम्‍मान।
इनके अतिरिक्‍त देश-विदेश स्थित 300 से अधिक सामाजिक, सांस्‍कृतिक एवं साहित्यिक संस्‍थाओं द्वारा अनेक अवसरों पर सम्‍मानित।

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