एफएनएन, देहरादून : उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा समितियों की लापरवाही आमजन पर भारी पड़ रही है। समितियों द्वारा रिपोर्ट उपलब्ध न कराए जाने के कारण दुर्घटना संभावित क्षेत्रों और और दुर्घटना रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी नहीं मिल पा रही है। यहां तक कि नए सड़क निर्माण व सुधार संबंधी कार्यों में सूचनात्मक रिफ्लेक्टिव बोर्ड व संकेत चिह्न भी नहीं लगाए जा रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही है। प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार के निर्देश पर हर राज्य में सड़क समिति का गठन किया गया है। इन समितियों द्वारा सड़क दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली जनहानि को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसके साथ ही जिला स्तर पर भी सड़क सुरक्षा समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों का कार्य अपने क्षेत्रों में ब्लैक स्पाट व दुर्घटना संभावित क्षेत्रों का चिह्निीकरण और तेज रफ्तार को रोकने के लिए उठाए गए कदमों को देखने के लिए संयुक्त सर्वेक्षण कराना है।
ये समितियां अपनी रिपोर्ट राज्य सुरक्षा सड़क एजेंसियों को नहीं सौंप रही हैं। इससे इन क्षेत्रों में सुधारात्मक कदम उठाने के लिए दिशा-निर्देश जारी नहीं हो पा रहे हैं। जिलों में सड़क निर्माण करने वाली कंपनियां भी सड़क निर्माण के दौरान सड़क सुरक्षा संबंधी मानकों का अनुपालन नहीं कर रही हैं। इससे सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हो रही हैं।
आयुक्त परिवहन दीपेंद्र चौधरी ने सभी जिलों की सड़क सुरक्षा समितियों के अध्यक्षों को पत्र लिखकर सड़क दुर्घटनाओं में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए जिला स्तर पर बैठकें करने को कहा है। इन बैठकों का मकसद सड़क दुर्घटनाओं के कारणों के विश्लेषण के साथ ही इन पर रोक लगाने और जनहानि को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देश जारी करना है।