Friday, April 19, 2024
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Homeविविधअबकी बार फिर नीतीश सरकार

अबकी बार फिर नीतीश सरकार

एफएनएन, पटना  : बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने बाद एक बार फिर से नीतीश कुमार की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। एडीए और महागठबंधन के बीच नेट टू नेट चली फाइट में एनडीए ने 243 में से 125 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं महागठबंधन को 110 तथा अन्य दलों को 7 सीटें मिली हैं।

देर रात तक ची मतगणना में इस बार नीतीश कुमार की जेडीयू बिहार में छोटे भाई की भूमिका में आ गई है। जेडीयू को महज 43 सीटों पर जीत हासिल हुई है जबकि उसकी सहयोगी भाजपा को 74 सीटें प्राप्त हुई है। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व और बिहार में किये गये उनके काम को माना जा रहा है। वहीं एनडीए के घटक हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को चार और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार सीटों पर जीत हासिल हुई है।

एनडीए को मिले बहुमत के बाद यह तय है कि एक बार फिर से नीतीश कुमार ही बिहार के अगले मुख्यमंत्री होंगे। नीतीश कुमार को सत्ता तो हासिल हो गई है लेकिन इस बार वे कमजोर हुए हैं। उनकी पार्टी की सीटें काफी कम हुई हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब जेडीयू की सीटें भाजपा से कम हुई हैं। हालांकि, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रचार अभियान के दौरान यह साफ कर चुके हैं कि जेडीयू की सीटें कम भी आईं तो भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे। उधर, इस चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उसे 75 सीटें प्राप्त हुई हैं,  लेकिन मतगणना की शुरुआत में ही एनडीए के मुकाबले में लगभग दोगुनी सीटों पर बढ़त बनाने वाला महागठबंधन ज्यादा देर तक अपनी बढ़त को कायम नहीं रख सका। महागठबंधन को 110 सीटें ही हासिल हुई। वहीं महागठबंधन की घटक कांग्रेस ने 19 तो कम्युनिस्ट पार्टियों ने 16 सीटें जीतीं हैं।

उधर, बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएम आईएम) को 5 सीटें मिली हैं। एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने वाली लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) केवल एक सीट ही जीत पाइ लेकिन उसने नीतीश कुमार की जेडीयू को तगड़ा नुकसान पहुंचाया है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी को एक तथा एक सीट निर्दलीय के खाते में गई है।

बता दें कि पप्पू यादव के दल जन अधिकार पार्टी (जाप) और पुष्पम प्रिया की प्लूरल्स पार्टी का इस चुनाव में खाता भी नहीं खुल सका। दोनों दलों के अध्यक्ष अपनी सीट तक नहीं जीत पाए। पुष्पम प्रिया को एक सीट पर 1600 से भी कम वोट मिले और वे जमानत तक नहीं बचा पाईं।

 

 

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