Friday, April 19, 2024
spot_img
spot_img
spot_img
03
20x12krishanhospitalrudrapur
previous arrow
next arrow
Shadow
spot_img
Homeराज्यउत्तराखंडअन्य राज्यों से उत्तराखंड आने वालों को अगली एसओपी में राहत देने...

अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने वालों को अगली एसओपी में राहत देने की तैयारी

एफएनएन, देहरादून : कोरोना संक्रमण के मामले कम होने के साथ ही सरकार अब अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने वालों को राहत देने की तैयारी में है। इसके तहत बाहर से आने वालों को बार्डर व रेलवे स्टेशन पर कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट अथवा कोविड वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र दिखाने के लिए रोकने से छूट दी जा सकती है। माना जा रहा कि कोविड कर्फ्यू की अगली मानक प्रचालन कार्यविधि (एसओपी) में इसका प्रविधान किया जा सकता है। वर्तमान में लागू कोविड कर्फ्यू की अवधि चार अगस्त को सुबह छह बजे खत्म हो रही है। अभी तक के तय प्रविधानों के तहत दूसरे राज्यों से आने वाले उन सभी व्यक्तियों को उत्तराखंड आने की छूट है, जिन्होंने कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली हों। इसके लिए उन्हें वैक्सीनेशन का फाइनल प्रमाणपत्र दिखाना जरूरी है। अन्य व्यक्तियों के लिए कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य की गई है। सरकार अब इसमें और राहत देने जा रही है।

सूत्रों के अनुसार इस बात पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है कि बाहर से आने वाले यात्रियों को बार्डर अथवा रेलवे स्टेशनों पर रोका न जाए। अलबत्ता, किसी भी क्षेत्र में पुलिस अथवा स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा मांगने पर संबंधित यात्री को कोविड वैक्सीनेशन का फाइनल प्रमाणपत्र अथवा कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट दिखानी आवश्यक होगी।

मेडिकल में आरक्षण गरीब तबके के लिए सौगात

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने केंद्र सरकार द्वारा मेडिकल में आरक्षण का निर्धारण किए जाने को ओबीसी व गरीब तबके लिए बड़ी सौगात बताया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में समाज के हर वर्ग की सुनवाई हुई है। गरीबों व निम्न वर्ग का विशेष ख्याल रखा गया है। मेडिकल में ओबीसी को 27 फीसद और गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलने से उत्तराखंड को भी लाभ मिलेगा। कौशिक ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक मेडिकल की सीटों में 56 फीसद वृद्धि की है। उत्तराखंड को भी केंद्र की योजनाओं का लाभ मिल रहा है और यह राज्य के विकास में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलना पिछड़ों के सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर है। जब देश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग बने, यदि उसी समय पिछड़ा वर्ग आयोग बनाकर उसे संवैधानिक दर्जा दे दिया जाता, तो आज पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों की सामाजिक दशा कुछ और होती।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

CommentLuv badge

Most Popular

Recent Comments