Friday, March 29, 2024
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कानूनी झंझटों से छुटकारा, सड़क दुर्घटना में घायल की मदद करने वालों से पूछताछ नहीं

एफएनएन, नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटना में विक्टिम्‍स की मदद करने वालों को कानूनी झंझटों से छुटकारा दिलाने के लिए नए नियम जारी कर दिए हैं। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, अस्‍पताल या पुलिस अधिकारी दुर्घटना के बाद मौके पर मदद करने वाले लोगों को नाम, पता, पहचान, फोन नंबर या दूसरी पर्सनल डिटेल्‍स देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा। आसान भाषा में समझें तो अब आप सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों की बिना झिझके और बिना डरे मदद कर सकते हैं।

नए नियमों के मुताबिक, लोगों की मदद करने वाले अच्‍छे नागरिकों के साथ धर्म, जाति और राष्‍ट्रीयता से ऊपर उठकर सम्‍मानजनक व्‍यवहार किया जाएगा। साथ ही साफ कर दिया गया है कि अगर मदद करने वाला व्‍यक्ति खुद चाहे तो अपनी पर्सनल डिटेल्‍स अधिकारियों को उपलब्‍ध करा सकता है। इसके अलावा सभी सरकारी और निजी अस्‍पतालों को एंट्रेंस, अपनी वेबसाइट व खास जगहों पर हिंदी, अंग्रेजी और स्‍थानीय भाषा में एक चार्टर लगाना होगा। इसमें दुर्घटना में मदद करने वाले अच्‍छे नागरिकों के अधिकारों का ब्‍योरा दिया जाए।

इच्‍छुक व्‍यक्ति से ही होगी पूछताछ

केंद्र सरकार की ओर से जारी नए नियमों में कहा गया है कि अगर कोई व्‍यक्ति दुर्घटना के मामले में अपनी मर्जी से चश्‍मदीद गवाह बनने के लिए तैयार हो तो उससे नए कानून के प्रावधानों के तहत ही पूछताछ की जाए। इसके लिए मोटर व्‍हीकल एक्‍ट, 2019 में धारा-134। को जोड़ा गया है। इसके तहत मदद करने वाले व्‍यक्ति को सुरक्षा दी गई है। इसमें साफ है कि मदद करने वाला व्‍यक्ति दुर्घटना के शिकार व्‍यक्ति को पहुंचने वाली किसी चोट या उसकी मौत के लिए जिम्‍मेदार नहीं माना जाएगा। उसके खिलाफ किसी तरह का सिविल या क्रिमिनल केस दर्ज नहीं होगा। सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद करने वाले अच्छे व्यक्ति को पुलिस मामले में उसकी इच्छानुसार ही गवाह बनाने के साथ पूछताछ करेगी। अगर वह थाने नहीं आना चाहता, तो संबंधित आईओ उसकी सुविधानुसार उसके बताए स्थान पर सादे वस्त्रों में जाकर पूछताछ करेगा। ताकि उसे किसी प्रकार का भय न हो।

सुप्रीम कोर्ट का भी है आदेश

सड़क पर अगर कोई घायल व्यक्ति दिखे तो अपना समझकर उठाएं, उसकी मदद करें। आपकी एक छोटी सी मदद किसी की जिंदगी बचा सकती है। घायल को अस्पताल पहुंचाने पर आप से कोई पूछताछ नहीं की जाएगी। दुर्घटना मामले में पुलिस आपको न तो गवाह बनाएगी और न ही चिकित्सक इलाज से इनकार करेगा। पुलिस अगर पूछताछ करती है तो आप पुलिस अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं।

 

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