- उत्तराखंड के विकास पर नहीं मिल पाए पांच जवाब
एफएनएन, देहरादून : आम आदमी पार्टी के नेता एवं दिल्ली के उप मुख्यमंत्री खुली बहस के लिए उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का इंतजार करते रहे, लेकिन कौशिक नहीं पहुंचे। इस पर मनीष सिसोदिया ने प्रदेश सरकार पर जोरदार हमले किए। साथ ही प्रदेश की भाजपा सरकार को भ्रष्टाचार में डूबी सरकार बताया। मनीष सिसोदिया ने कुछ दिन पहले उत्तराखंड दौरे के दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को त्रिवेंद्र बनाम केजरीवाल मॉडल को लेकर खुली बहस के लिए आमंत्रित किया था। ऐसा वह यूपी में भी कर चुके हैं। इस मामले में उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने चैलेंज को स्वीकार करते हुए कहा था कि सिसोदिया जहां कहेंगे, वहीं मैं खुली बहस को तैयार हूं। मनीष सिसोदिया ने इसके लिए आज चार जनवरी की तारीख तय की और देहरादून के सर्वे चौक स्थित आइआरडीटी सभागार में सुबह 11 बजे उन्हें खुली बहस के लिए आमंत्रित किया। मनीष सिसोदिया ने कहा था कि आप अपनी सरकार के सौ काम गिनवा दो। मैं आपको दिल्ली में छह जनवरी को अपनी सरकार के सौ काम गिनवा दूंगा। इसके बाद मनीष सिसौदिया के पत्र में तारिख की गलती को मदन कौशिक ने पकड़ लिया और इसे ही मुद्दा बना दिया। वहीं, से लगने लगा था कि वे अब बहस में नहीं आएंगे और हुआ ऐसा ही। यूपी की तरह उत्तराखंड के मंत्री ने भी बहस से खुद को अलग कर लिया। वहीं, मनीष सिसौदिया ने बाद में बोला कि आप सिर्फ पांच काम ही गिनवा देना। सभागार में आम आदमी पार्टी से सुबह से ही पूरी तैयारी कर रखी थी। मंच पर दो कुर्सी थी। एक पर मनीष सिसोदिया लिथा था, दूसरी में मदन कौशिक। इंतजार होता रहा और कौशिक की कुर्सी खाली रही। मनीष सिसोदिया ने बहस की पूरी तैयारी कर रखी थी। स्क्रीन पर दिल्ली मॉडल की फिल्म पत्रकारों को दिखाई गई। साथ ही मदन कौशिक का इंतजार होता रहा। आप नेता मनीष सिसौदिया ने उत्तराखंड की सरकार को आड़े हाथ लिया। कहा कि उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत की सरकार बीजेपी की सरकार नहीं है। ये कांग्रेस और बीजेपी की मिलीजुली सरकार है। मैं नहीं ऐसा लोग कहते हैं। उन्होंने कहा कि सीएम भाजपा के हैं और मंत्री कांग्रेस के हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार साल से उत्तराखंड के लोग झेल रहे हैं। मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुझे खुशी होती यदि खुली बहस होती। काश देश में वो स्थिति आ जाए। हमारे दो पार्टियों के नेता आमने सामने चर्चा करें। लोकतंत्र के लिए ये ही बेहतर स्थिति। सत्ता में बैठे लोग बताते कि उन्होंने क्या किया। साथ ही विपक्ष के लोग पूछते कि उन्होंने क्या किया। लोकतंत्र के लिए मजबूती के लिए ये बेहतर स्थिति होगी। या दो राज्यों की सरकार आमने सामने बात करें। हमने ये अच्छा किया। इससे एक दूसरे से सीखने और समझने का मौका भी मिलता। उन्होंने कहा कि बात आम आदमी पार्टी की नहीं है। भारत के लोकतंत्र में ऐसी शुरूआत जरूरी है। जब मदन जी ने बहस के लिए स्वीकार किया तो मेरे मन में उनके प्रति सम्मान बढ़ा। लगा कि वो लोकतंत्र मजबूत करने के लिए आगे आएंगे। मैं उन्हें व्यक्ति गत रूप से नहीं जानता। लोकतंत्र में चर्चा ही बेहतर विकल्प है। मदन कौशिक के नहीं आने पर उन्होंने कहा कि हो सकता है यहां योजनाएं फाइलों में बनाई गई होगीं। जमीन पर काम किया होता तो आते जरूर। काम नहीं किया तो आए नहीं। उन्होंने कहा कि पत्र में शाब्दिक छोटी सी त्रुटि को मुद्दा बनाना गलत है। तारीख को लेकर उन्होंने जितना ध्यान दिया उतना स्कूलों में देते तो स्कूल ठीक हो जाते। मैने उन्हें दूसरा पत्र भी दे दिया था।