एफएनएन, नई दिल्ली : देश में निर्मित बायोलॉजिकल ई की वैक्सीन के कोविड के खिलाफ 90 फीसदी प्रभावी होने की संभावना है और यह कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में गेमचेंजर साबित हो सकती है. देश के एक शीर्ष डॉक्टर ने सरकार के एडवाइजरी पैनल को यह जानकारी दी. केंद्र सरकार के कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरपरसन एनके अरोरा ने कहा कि यह वैक्सीन, तीसरे फेज के ट्रायल में पहुंच चुकी है और अक्टूबर माह से उपलब्ध हो सकती है. डॉ. अरोरा के अनुसार, बायोलॉजिकल ई की वैक्सीन को कॉर्बेवैक्स कहा जाएगा और यह नोवावैक्स वैक्सीन की तरह ही होगी. कंपनी के अनुसार, नोवावैक्स कोविड के वेरिएंटों के खिलाफ 90 फीसदी से अधिक प्रभावी है. नोवावैक्स को देश में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा बनाया जाएगा, यह कंपनी ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशिलैंड का भी निर्माण कर रही है.
डॉ. अरोरा ने कहा, ‘ नोवावैक्स (सीरम इंस्टीट्यूट की) बेहद रोमांचक (very exciting) है. पिछले कुछ सप्ताह में यह बात सामने आई कि भारत एक वर्ष में लगभग एक अरब डोज का उत्पादन करने जा रहा है. यह (नोवावैक्स का उत्पादन) आसान और सस्ता होगा और इसकी प्रभावशीलता लगभग 90 फीसदी होगी.’ इसी से मिलती जुलती भारतीय वैक्सीन भी फेज 3 के ट्रायल में है जो बायोलॉजिकल ई की वैक्सीन है. यह वैक्सीन हर एज ग्रुप के लिए सुरक्षित है और इनकी प्रभावशीलता ज्यादा है. खासतौर पर हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई काफी क्षमतावान साबित हो सकती है, इसे दो डोज के लिए 250 रुपये की अविश्वसनीय कीमत पर बेचा जा सकता है.
डॉ. अरोरा ने कहा ‘ नोवावैक्स वैक्सीन की मिलती जुलती क्षमता के साथ Bio E अक्टूबर माह से उपलब्ध हो सकती है. दूसरे शब्दों में कहें तो Bio E की क्षमता करीब 90 फीसदी होगी. ये जल्द ही तीसरे फेज के ट्रायल की ओर बढ़ रहे हैं. डॉ. अरोरा, नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) के चेयरपरसन भी है, यह ग्रुप सरकार को वैक्सीनेशन से जुड़े मसलों पर सलाह देने का काम करता है.