एफएनएन, मुजफ्फरनगर : 27 वर्ष पुराने रामपुर तिराहा कांड की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस मामले संबंधी 4 मुकदमों के ट्राइल के लिए सिविल जज सीनियर डिविजन फास्टट्रैक को अधिकृत किया है। पैरवी के लिए 2 अधिवक्ताओं की कमेटी भी बनाई गई है। आपको बता दें कि एक अक्टूबर 1994 को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर देहरादून से आंदोलनकारी दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों पर फायरिंग की, जिसमें 7 आंदोलनकारी शहीद हो गए थे। सीबीआई ने इस मामले की जांच की और मुकदमे दर्ज कराए थे। इनमें चार मुकदमे मुजफ्फरनगर में विचाराधीन हैं। पहले एसीजेएम द्वितीय की कोर्ट में मुकदमे की फाइल भेजी गई थी लेकिन यहां लंबे समय से सुनवाई नहीं हो सकी। एसीजेएम के पत्र के बाद सीजेएम ने प्रकरण की सुनवाई के लिए सिविल जज सीनियर डिविजन फास्टट्रैक को अधिकृत किया है। नैनीताल में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता रजनीश चौहान के साथ अधिवक्ता अनुराग वर्मा को भी रखा गया है।
- गोली लगने से ये लोग हो गए थे शहीद
गोली लगने से नेहरू कॉलोनी देहरादून निवासी रविंद्र रावत उर्फ गोलू, भाला वाला निवासी सत्येंद्र चौहान, बद्रीपुर निवासी गिरीश भदरी, अजबपुर निवासी राजेश लखेडा, ऋषिकेश निवासी सूर्य प्रकाश थपलियाल, ऊंखी मठ निवासी अशोक कुमार और भानियावाला निवासी राजेश नेगी शहीद हो गए थे। प्रकरण की सीबीआई जांच के आदेश वर्ष 1995 में हुए थे जो अदालत में चल रहे हैं।
- ये लोग बनाए गए थे आरोपी, इनकी हो गई थी मौत
इस मामले में तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह और एसएसपी आरपी सिंह भी नामजद किए गए थे। वहीं आरोपी बनाए गए तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक मोती सिंह, थाना अध्यक्ष राजवीर सिंह और एक अन्य मामले में आरोपी की मौत होने के कारण यह मामले खत्म हो चुके हैं।