एफएनएन, सितारगंज : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ज्ञानी स्वर्ण सिंह का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा। स्वर्ण सिंह का सोमवार रात करीब 11:00 बजे उनके आवास पर निधन हो गया। राजकीय सम्मान के साथ मंगलवार को उनकी अंत्येष्टि की गई। स्वर्ण सिंह का जन्म वर्ष 1919 में शेखुपुरा पंजाब के भुट्टर गांव में हुआ था। 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई और अंग्रेजों की यात्राएं भी सही।
स्वर्ण सिंह 1945 में जालंधर और 1946 में पटियाला आए वहां उन्होंने पंजाबी भाषा की शिक्षा ली। उन्होंने भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान अपनी मां बालकौर को भी खो दिया था। स्वर्ण सिंह गुरुद्वारा श्री गुरु नानक मत्ता साहिब में रिसीवर भी रहे। उन्होंने तीन पुस्तकें भी लिखी। स्वर्ण सिंह आप भले ही ना रहे लेकिन उनकी लिखी कविता सभी के दिलों में रहेगी।