Friday, April 19, 2024
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Homeराज्यउत्तराखंडउत्तराखंड में उप चुनाव पर पेच, विकल्प पर मंथन शुरू

उत्तराखंड में उप चुनाव पर पेच, विकल्प पर मंथन शुरू

एफएनएन, देहरादून : मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा अचानक दिल्ली बुलाया जाना और दो दिन दिल्ली में रोके रखना, यह जाहिर कर रहा है कि तीरथ के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए जरूरी विधानसभा उप चुनाव में कोई पेच फंस रहा है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व इस पेच को सुलझाने के लिए उप चुनाव की संभावना से लेकर समय पूर्व विधानसभा चुनाव और नेतृत्व में बदलाव जैसे तमाम विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहा है। बुधवार दोपहर दिल्ली पहुंच चुके मुख्यमंत्री की लगभग 12 घंटे बाद आधी रात के आसपास गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर उनसे और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात हुई। यह मुलाकात लगभग एक घंटा चली और इसके बाद मुख्यमंत्री दिल्ली स्थित अपने आवास पर लौट आए। इस मुलाकात में क्या हुआ, किसी को मालूम नहीं, क्योंकि न तो भाजपा और न मुख्यमंत्री तीरथ की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी दी गई। देहरादून में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा गुरुवार शाम तक उनके देहरादून लौटने की बात कही गई। शाम को बताया गया कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें दिल्ली में ही रुककर प्रतीक्षा करने को कहा है।

विधानसभा उप चुनाव पर असमंजस

पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत ने गत 10 मार्च को उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का पद संभाला था। इस लिहाज से उन्हें छह महीने, यानी 10 सितंबर से पहले विधायक बनना है। हालांकि एक मंत्री समेत आधा दर्जन विधायक उनके लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण निर्वाचन आयोग द्वारा उप चुनावों पर रोक से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इसके अलावा उत्तरकाशी जिले की गंगोत्री सीट भाजपा विधायक गोपाल रावत के निधन के कारण पहले से ही रिक्त है। अगर उप चुनाव के मसले का समाधान हो जाए, तो मुख्यमंत्री के पास इस उप चुनाव का विकल्प भी है।

गंगोत्री सीट को लेकर हिचक

अगर गंगोत्री उप चुनाव का कार्यक्रम तय होता भी है तो भाजपा के लिए यह सीट खासी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। मुख्यमंत्री तीरथ के लिए यह बिल्कुल नया क्षेत्र होगा। फिर कांग्रेस के पास यहां अच्छा जनाधार रखने वाले एक पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण चुनाव लड़ने के लिए पहले से ही तैयार हैं। उस पर अब आम आदमी पार्टी ने भी इस सीट पर कर्नल (सेनि) अजय कोठियाल को प्रत्याशी के रूप में उतारने की घोषणा कर दी है। एक अन्य विकल्प किसी भाजपा विधायक की सीट खाली करा वहां से मुख्यमंत्री के चुनाव लडऩे का हो सकता है, लेकिन इसके लिए चुनाव प्रक्रिया नौ सितंबर से पहले पूरी होना जरूरी होगा।

विधानसभा भंग कर समय पूर्व चुनाव

सूत्रों का कहना है कि विधानसभा भंग कर राज्य में समय से पहले विधानसभा चुनाव के विकल्प पर भी चर्चा चल रही है। उत्तराखंड में मौजूदा चौथी विधानसभा का गठन 21 मार्च 2017 को हुआ था। यानी, अभी भी विधानसभा का साढ़े आठ महीने से ज्यादा का कार्यकाल शेष है। भाजपा नेतृत्व शायद ही इतना समय रहते विधानसभा चुनाव का विकल्प आजमाए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तीरथ के विधानसभा चुनाव न लडऩे की स्थिति में इस बात की संभावना ज्यादा लग रही है कि किसी विधायक को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी समय पर चुनाव में जाए।

विधानसभा भंग कर समय पूर्व चुनाव

सूत्रों का कहना है कि विधानसभा भंग कर राज्य में समय से पहले विधानसभा चुनाव के विकल्प पर भी चर्चा चल रही है। उत्तराखंड में मौजूदा चौथी विधानसभा का गठन 21 मार्च 2017 को हुआ था। यानी, अभी भी विधानसभा का साढ़े आठ महीने से ज्यादा का कार्यकाल शेष है। भाजपा नेतृत्व शायद ही इतना समय रहते विधानसभा चुनाव का विकल्प आजमाए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तीरथ के विधानसभा चुनाव न लडऩे की स्थिति में इस बात की संभावना ज्यादा लग रही है कि किसी विधायक को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी समय पर चुनाव में जाए।

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