एफ़एनएन, उत्तराखंड
उत्तराखंड की जब बात होती है,
तो आंखो के सामने याद आता हैं वो पहाड़ी दृश्य , नदियां, झरने
और धूप में तपती वो महिलाएं
आज भी याद है मुझे उत्तराखंड का यह दृश्य………….
छोटे छोटे बच्चो का स्कूल जाना,
फिर घर आकर खेल – कूद करना
वो प्यारी सी नोक झोंक करके,
फिर उनका आपस में प्यार करना,
आज भी याद है मुझे उत्तराखंड का यह दृश्य……..
महिलाओं को कठिन परिश्रम करके,
अपने परिवार को पालना,
उनकी छोटी छोटी खुशियों के लिए,
अपना सब कुछ न्योछावर कर देना,
आज भी याद है मुझे उत्तराखंड का वो दृश्य………
मुश्किलों से भरा जीवन इनका,
फिर भी इन्हे कोई शिकायत नहीं,
पहाड़ों कि सुंदरता के सामने
मुश्किल राह को भी आसानी से पार कर जाते हैं ये,
आज भी याद है मुझे उत्तराखंड का यह दृश्य………….
जब कोई पूछता है मुझसे, तुम कहां रहती हो?
मुख में एक मुस्कान लाकर मै भी के देती हूं,
जहां है पावन नदियों का संगम , और
जहां से दिखता है स्वर्ग का हिमालय पर्वत, और
भारत मां की रक्षा के लिए,
लहू बहाकर भी जो अमर हो गया,
और
जहां चारों( बद्रीनाथ, केदारनाथ,गंगोत्री,यमुनोत्री) धामो का है स्थल,
ऐसी प्यारी देवभूमि ( उत्तराखंड)
है मेरी जन्मभूमि,
ऐसी प्यारी देवभूमि ( उत्तराखंड)
है मेरी जन्मभूमि।।
मानसी जोशी