Thursday, March 28, 2024
spot_img
spot_img
spot_img
03
Krishan
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराज्यउत्तराखंडउत्तराखंड में ब्लैंक फगंस का अटैक, एक की मौत 21 लोगों को...

उत्तराखंड में ब्लैंक फगंस का अटैक, एक की मौत 21 लोगों को किया संक्रमित, मरीजों को बचाने के लिए निकालनी पड़ती है आंख

एफएनएन, देहरादून : उत्तराखंड में कोरोनावायरस के साथ ही ब्लैक फंगस का भी कहर शुरू हो गया है। इसके मरीजों में भी इजाफा होने लगा है। एम्स ऋषिकेश में इसके एक मरीज की जान चली गई। उत्तराखंड में इस बीमारी से ये पहली मौत है। 36 वर्षीय व्यक्ति देहरादून से रेफर होकर एम्स पहुंचा था। अब तक उत्तराखंड में कुल 21 व्यक्तियों में इस बीमारी की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, जिन मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है, उनमें से 11 की उम्र 50 वर्ष से अधिक है।

एम्स ऋषिकेश के निदेशक पदमश्री प्रो. रविकांत ने बताया कि बीते कुछ दिनों में एम्स में 17 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। इनमें सात मरीज ऐसे हैं, जो पहले से ब्लैक फंगस से ग्रसित होने के बाद उपचार के लिए आए थे। दस मरीजों को कोरोना संक्रमण के कारण यहां भर्ती किया गया था। उनका शुगर लेवल काफी बढ़ा हुआ था। इनमें ब्लैक फंगस के लक्षण नजर आए तो जांच कराई गई। उन्होंने बताया कि शुक्रवार रात ब्लैक फंगस से एक मरीज की मौत भी हो गई, जबकि 16 मरीजों का उपचार चल रहा है।

उन्होंने बताया कि इस रोग के दस मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है और छह की सर्जरी की जानी है। प्रो. रविकांत ने बताया कि ब्लैक फंगस के 16 मरीजों में 14 कोविड एक्टिव हैं। इन मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि होने के बाद चिकित्सक अध्ययन भी कर रहे हैं। वहीं, ईएनटी विशेषज्ञ व टीम लीडर डॉ. अमित त्यागी ने बताया कि अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है, उनमें देहरादून से दो, हरिद्वार से तीन, रुड़की से दो, ऋषिकेश, काशीपुर, ऊधम सिंह नगर और अल्मोड़ा से एक-एक मरीज शामिल है। उत्तर प्रदेश के शामली, अलीगढ़, मंडावर, मुरादाबाद और मेरठ के पांच मरीज हैं।

  • मरीजों के लिए अलग वार्ड बना

एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के प्रभावित 17 मरीज मिलने के बाद अस्पताल प्रशासन ने इनके लिए 30 बेड का अलग वार्ड बनाया है। इन सभी मरीजों को वहां शिफ्ट कर दिया गया है। डॉ. अमित त्यागी ने बताया कि यह वार्ड आइसीयू सुविधा से युक्त है। 12 चिकित्सकों का दल इसके लिए गठित किया गया है। वार्ड के भीतर भी दो पार्ट बनाए गए हैं। इनमें कोरोना संक्रमित और सामान्य मरीजों को अलग-अलग रखा गया है।

  • क्या है ब्लैक फंगस

म्यूकोरमाइकोसिस को काला कवक के नाम से भी पहचाना जाता है। संक्रमण नाक से शुरू होता है और आंखों से लेकर दिमाग तक फैल जाता है। इस बीमारी में में कुछ गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए उनकी आंखें निकालनी पड़ती है। इस फंगस को गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है। फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है। इसी कारण ब्लैक फंगस या ब्लड फंगस से संक्रमित मरीजों की आंख निकालने के मामले सामने आ रहे हैं। अब हर दिन बढ़ रहे हैं मामले गंभीर मामलों में मस्तिष्क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता है।

  • ये हैं लक्षण

गंभीर फंगल इंफेक्शन से गाल की हड्डी में एक तरफ या दोनों दर्द हो सकता है। यह फंगल इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ब्लैक फंगल इंफेक्शन किसी व्यक्ति को अपनी चपेट में लेता है, तो उसकी आंखों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण आंखों में सूजन और रोशनी भी कमजोर पड़ सकती है। फंगल इंफेक्शन मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है, जिससे भूलने की समस्या, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आ सकती हैं।

  • स्टेरॉयड का सही उपयोग करें चिकित्सक

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक कई अस्पताल इस दुर्लभ और घातक संक्रमण में वृद्धि की रिपोर्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डायबिटीज से पीड़ित कोविड​​​​-19 रोगियों को जिन्हें इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिया जा रहा है, उनमें म्यूकोर्मिकोसिस या “ब्लैक फंगस” से प्रभावित होने की आशंका अधिक होती है। सभी चिकित्सकों को सलाह दी कि वे केवल और केवल तभी स्टेरॉयड का उपयोग करें जब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कोविड गाइडलाइन के अनुसार आवश्यक हो। उन्होंने सभी चिकित्सकों से जीवन रक्षक और जीवनदायी दवाओं का सही खुराक और सही अवधि और सही समय पर उपयोग करने की अपील की। उन्होंने बीमारी के शुरुआती पांच दिनों के दौरान स्टेरॉयड का उपयोग न करने की चेतावनी दी। इसके साथ ही उन्होंने ऑक्सीजन तथा पेयजल के सही उपयोग पर भी जोर दिया।

  • ये बरतें सावधानियां

-धूल भरे निर्माण स्थलों पर जाने पर मास्क का प्रयोग करें।

-मिट्टी (बागवानी), काई या खाद को संभालते समय जूते, लंबी पतलून, लंबी बांह की कमीज और दस्ताने पहनें।

-साफ-सफाई व व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।

-कोविड संक्रमित मरीज के डिस्चार्ज के बाद और मधुमेह रोगियों में भी रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें।

-स्टेरॉयड का सही समय, सही खुराक और अवधि का विशेष ध्यान दें।

-ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ, जीवाणु रहित पानी का उपयोग करें।

-फंगल का पता लगाने के लिए जांच कराने में संकोच न करें।

-नल के पानी और मिनरल वाटर का इस्तेमाल कभी भी बिना उबाले न करें।

  • शहरों की स्थिति

मुंबई में बीएमसी के बड़े अस्पताल ‘सायन’ में डेढ़ महीने में ब्लैक फंगस के 30 मरीज मिले हैं। इनमें 6 की मौत हुई है और 11 मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी। गुजरात में भी ऐसे 50 से 60 मरीज सूरत और अहमदाबाद जैसे शहरों में मिल चुके हैं। उत्तर प्रदेश में इस बीमारी से तीन लोगों की मौत हो गई। साथ ही निजी अस्पतालों में भर्ती एक दर्जन से अधिक मरीजों की हालत गंभीर है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

CommentLuv badge

Most Popular

Recent Comments