Friday, March 29, 2024
spot_img
spot_img
spot_img
03
Krishan
previous arrow
next arrow
Shadow
Homeराज्यउत्तराखंडउत्तराखंड विधानसभा मेंं गूंजा पंतनगर यूनिवर्सिटी की दुर्दशा का मुद्दा

उत्तराखंड विधानसभा मेंं गूंजा पंतनगर यूनिवर्सिटी की दुर्दशा का मुद्दा

  • विधायक राजेश शुक्ला ने नियम 53 के तहत सदन में उठाया सवाल, आरोप-बजट के अभाव मेंं कामकाज प्रभावित

एफएनएन, देहरादून: विधायक राजेश शुक्ला ने मंगलवार को  उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन नियम 53 के तहत बजट के अभाव में दुर्दशा का शिकार हो रही गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का मुद्दा जोरशोर से उठाया। सााथ ही नियम 300 के अंतर्गत उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम के कर्मचारियों को 3 माह से वेतन नहीं मिलने का मामला भी सदन में रखा।

विधायक राजेश शुक्ला ने मंगलवार को सदन की कार्यवाही के दौरान नियम 53 के तहत पंतनगर विश्वविद्यालय में बजट के अभाव का मुद्दा उठाते हुए कहा कि प्रदेश के पंतनगर में स्थापित पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर उधमसिंहनगर जो उनकी विधानसभा क्षेत्र किच्छा में स्थित है वर्तमान में बजट के अभाव में दुर्दशा का शिकार है। विश्वविद्यालय द्वारा मांगे गए बजट के सापेक्ष काफी कम धनराशि मिलने से विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग में कार्य कर रहे लगभग 2000 श्रमिकों को 20 कार्य दिवस भी ड्यूटी नहीं मिल पा रही है जिससे उनके परिवारों के सामने न केवल जीवनयापन का संकट है बल्कि विश्वविद्यालय के तमाम कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। बजट के अभाव में विश्वविद्यालय के हॉस्पिटल, वेटरनरी हॉस्पिटल और अन्य प्रयोगशालाओं में नियमित कार्य नहीं हो पा रहे हैं। विश्वविद्यालय के अधिकांश भवन, मार्केट भवन जो 1960 से स्थापित हैंं, उसकी मरम्मत व मेंटेनेंस भी नहीं हो पा रहा है। सड़कों का हाल बुरा है अधिकारियों/ कर्मचारियों के आवास, छात्रावास और अन्य सभी भवन बुरी हालत में हैंं।

एशिया का ख्यातिलब्ध देश का पहला विश्वविद्यालय जिसे हरित क्रांति का गौरव मिला, वह उपेक्षा का शिकार होकर आज टाप से लुढ़ककर पांचवीं रैंकिंग पर आ गया है। बजट की कमी व घोर उपेक्षा के बावजूद वैज्ञानिक/शिक्षक/ छात्र/ कर्मचारी काम कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश के कृषि शिक्षा मंत्री से इस गंभीर मामले में तत्काल संज्ञान लेकर पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय को पूर्व की भांति पर्याप्त बजट आवंटित  कराने का आग्रह किया है।

टीडीसी के आर्थिक संकट पर भी सरकार को घेरा

साथ ही नियम 300 के तहत देश के उच्च कोटि के बीज उत्पन्न करने वाले उत्तराखंड बीज एवं तराई विकास निगम हल्दी पंतनगर के कर्मचारियों के विषय में बोलते हुए कहा कि कर्मचारियों को गत 3 माह से वेतन नहीं मिला है। स्वयं कृषि विभाग ने जो बीज टीडीसी से खरीदा है उसका भी लगभग छह करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान लंबित है। ऐसे में पूर्व में घाटा झेल चुके ख्यातिलब्ध निगम को अनेक कठिनाई झेलनी पड़ रही है। कोरोना संकट व अन्य विपरीत परीस्थितियों के बीच टीडीसी के कर्मचारियों को वेतन ना मिलने से अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, पूर्व में टीडीसी के जिन आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को राज्य सरकार के द्वारा मंडी में समायोजित किया गया था उनमें से कई कर्मचारियों को वहां से हटा देने से उनके सामने परिवार पालने की कठिनाई उत्पन्न हो गई है, कहा कि क्या प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री जी इस से अवगत हैं तथा सरकार इस संबंध में क्या कदम उठा रही है कि टीडीसी कर्मचारियों को समय पर उनका भुगतान मिले तथा इस प्रतिष्ठित निगम जिसने देश भर की कृषि को उन्नत बीज देकर हरित क्रांति का गौरव दिलाया। क्या ऐसे निगम को सरकार अनुदान देकर अपने पैरों पर खड़ा करने पर विचार करेगी और मंडी में समायोजित किए गए टीडीसी के उन कर्मचारियों को, जिन्हें मंडी ने भी निकाल दिया हैै, क्याटीडीसी में बहाल करेगी?

कृषि मंत्री बोले-दोनों मामले संज्ञान में, सरकार गंभीर

विधायक शुक्ला के सवालों का सदन में जवाब देते हुए कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विधायक राजेश शुक्ला द्वारा उठाए गए दोनों मामले उनके संज्ञान में हैंं तथा इस संबंध में उनके द्वारा आवश्यक कार्यवाही की गई है। अतिशीघ्र टीडीसी कर्मचारियों का वेतन जारी हो जाएगा एवं हरित क्रांति की जननी पंडित गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय के बजट के संबंध में वह जल्द ही प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के स्वस्थ होने के बाद वार्ता कर जारी कराएंंगे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

CommentLuv badge

Most Popular

Recent Comments