एफएनएन, रुद्रपुर : साउथ अफ्रीका के देशों में फैले कोविड-19 के नए वैरिएंट ओमिक्रान (Omicron Variant) से दुनियाभर में अफरातफरी मची हुई है। जिसको लेकर उत्तराखंड में भी अलर्ट जारी किया गया है। अफ्रीकी देशों से लौटने वाले देशों से आइसोलेट कर उनकी करने के निर्देश हैं। अफ्रीका के कांगों प्रांत से लौटे ऊधमसिंहनगर दिनेशपुर निवासी युवक को लेकर स्वास्थ्य महकमा अलर्ट है। उसकी ट्रूनेट और एंटीजन जांच में रिपोर्ट निगेटिव आई है। अब आरटीपीसीआर की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। परिवार के लोगों के साथ उसके संपर्क में आए लोगों का भी कोविड टेस्ट कराया गया है। फिलहाल उसे आइसोलेट रखा गया है।
स्वास्थ्य विभाग के जिला सर्विलांस अधिकारी एसीएमओ डॉ अविनाश खन्ना ने बताया कि सीएमओ अल्मोड़ा की तरफ से जानकारी दी गयी थी कि मूलरूप से हवालबाग ब्लॉक के छानागोलू गांव निवासी 25 वर्षीय युवक बीते 25 नवंबर को कांगो से आया है। वह ऊधम सिंह नगर के दिनेशपुर में रह रहा है। जानकारी मिलते ही बीती शनिवार की रात ही टीम ने दिनेशपुर से युवक और उसके माता-पिता-भाई और भाभी की कोविड जांच ट्रूनेट और एंटीजन टेस्ट कराया। जिसमें सभी की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। रात में ही सभी को घर वापस भेज दिया गया। उन्हें आइसोलेट रहने के निर्देश दिए गए हैं।
एसीएमओ ने बताया कि आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट आनी बाकी है। साउथ अफ्रीका के कांगो के किंचासा से आये युवक ने बताया कि उसकी शादी आगामी दो दिसंबर को है। वह किंचासा में प्रिंटिंग प्रेस में काम करता है। क्ररीब डेढ़ माह की छुट्टी पर आया है। वह अपनी आरटीपीसीआर जांच कराकर ही आया है। रात में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जांच कराई गई है। सभी निगेटिव आए हैं। एसीएमओ डॉ अविनाश खन्ना ने बताया कि पूरे परिवार पर नजर रखी जा रही है। युवक को निर्देश दिए गए है कि वह बिना अनुमति कहीं न जाए।
- वैरिएंट आफ कसंर्न की कैटगरी में शामिल वायरस
विश्व स्वाथ्य संगठन अब तक पांच खतरनाक वैरिएंट्स को ‘वैरिएंट आफ कसंर्न’ की श्रेणी में डाल चुका है। दरअसल, वैरिएंट आफ कसंर्न वह वैरिएंट्स हैं, जो तेजी से फैलते हैं। गंभीर लक्ष्ण दिखाते हैं। उन पर वैक्सीन का प्रभाव बेअसर होता है या वैक्सीन के असर को कम कर देते हैं। जिनमें निम्न वैरिएंट शामिल हैं।
अल्फा वैरिएंट : कोरोना वायरस के इस वैरिएंट का असर ब्रिटेन में था। सितंबर, 2020 में ब्रिटेन में इस वायरस ने भारी तबाही मचाई थी। इसके चलते हजारों की जानें गईं थी। वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में सख्त लाकडाउन लगाया गया था।
बीटा वैरिएंट : दक्षिण अफ्रीका में बीटा वैरिएंट ने खतरनाक रूप ग्रहण किया था। मई, 2020 में दक्षिण अफ्रीका और उसके आस-पास के देशों में इस वायरस ने भारी तबाही मचाई थी।
गामा वैरिएंट : नवंबर, 2020 में ब्राजील और उसके आस-पास के इलाके इस वायरस की चपेट में थे। इस वैरिएंट ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में लिया। ब्राजील उन देशों में शामिल था, जहां कोरोना का सर्वाधित प्रभाव था।
डेल्टा वैरिएंट : अक्टूबर, 2020 में यह वैरिएंट भारत में कहर बनकर आया। देश में लाखों लोग इस वायरस की चपेट में आए। लाखों लोग काल के गाल में समा गए। इसके चलते देश कई महीनों तक कठोर प्रतिबंधों में रहा।
ओमिक्रान वैरिएंट : नवंबर, 2021 में यह वायरस सुर्खियों में है। इस वैरिएंट की चपेट में दुनिया के कई मुल्क हैं। हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वैरिएंट को लेकर अलर्ट जारी किया है। यह अब तक का सबसे खतरनाक वैरिएंट है। भारत ने भी इस वैरिएंट पर अपनी चिंता जताई है।
- वैरिएंट आफ कंसर्न श्रेणी के क्या है मानक
1- वैरिएंट के प्रसार होते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन उसकी गहन निगरानी करता है। वायरस को वैरिएंट आफ इंटरेस्ट की श्रेणी में डाला जाता है। इसके बाद इस वायरस पर गहन शोध किया जाता है। अगर अध्ययन में यह पाया जाता है कि वैरिएंट तेजी से प्रसार कर रहा है यानी वह ज्यादा संक्रामक है तो उसे वैरिएंट आफ कंसर्न की श्रेणी में डाल दिया जाता है।
2- वैरिएंट की कैटेगरी अलग-अलग पैमानों के आधार पर निर्धारित की जाती है। किसी वैरिएंट को वैरिएंट आफ इंटरेस्ट की कैटेगरी में डालने के लिए इन बातों का ख्याल रखा जाता है। इसके तहत वायरस के मूल स्ट्रक्चर में कोई जेनेटिक बदलाव हो रहा है कि नहीं। इसको इस रूप में जान सकते हैं कि उसका ट्रांसमिशन बढ़ जाना, बीमारी का लेवल बढ़ जाना, उस पर वैक्सीन का असर कम होना।
3- विश्व स्वास्थ्य संगठन समय-समय पर इसकी समीक्षा करता है। संगठन वैरिएंट्स को इंटरेस्ट और कंसर्न की कैटेगरी से जोड़ता-घटाता रहता है। किसी वैरिएंट की कैटेगरी बदलने से पहले टेक्नीकल एडवाइजरी ग्रुप उसका डिटेल्ड एनालिसिस करता है। ग्रुप की सिफारिशों के बाद ही वैरिएंट की कैटेगरी बदलने का फैसला लिया जाता है।
- कहां से आया ओमिक्रान वैरिएंट, बेअसर क्यों है वैक्सीन ?
इस वैरिएंट की उत्पत्ति को लेकर अभी कुछ साफ नहीं है। यह माना जा रहा है कि यह किसी ऐसे शख्स से फैला है, जो एड्स से संक्रमित था। 2020 में दक्षिण अफ्रीका में जो बीटा वैरिएंट मिला था, वह भी एड्स से संक्रमित व्यक्ति से ही फैला था। दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया और उससे लगे इलाकों में सबसे तेजी से इसका प्रसार हुआ था। इसके बाद वैज्ञानिकों ने जिनोमिक सीक्वेंसिंग कर केसेस बढ़ने की वजह पता की तब इस वैरिएंट का पता चला। यह माना जा रहा है कि इस वैरिएंट पर वैक्सीन बेअसर हो रही है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि चूंकि वैक्सीन को चीन में मिले वायरस के हिसाब से बनाया गया है और ये स्ट्रैन उस मूल वायरस से अलग है।