Friday, April 19, 2024
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Homeराज्यउत्तराखंडरामलीला के दूसरे दिन वेदवती और रावण संवाद

रामलीला के दूसरे दिन वेदवती और रावण संवाद

एफएनएन, रुद्रपुर : रुद्रपुर की प्राचीन बस स्टैंड वाली रामलीला में द्वितीय दिवस रावण वेदवती संवाद, श्रवण कुमार मातृ पितृ भक्ति, श्रवण कुमार का देहांत, राम जन्म, सीता जन्म की लीला का मंचन हुआ। द्वितीय दिवस की के मंचन का शुभारंभ मुख्य अतिथि समाजसेवी सतपाल गाबा, मनोज गाबा, मीनाक्षी गाबा, मोहक गाबा व सौरभ राज बेहड़ नें किया। श्री रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों व सदस्यों ने सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर, शाल ओढ़ाकर एवं राम दरबार का सुंदर प्रतिकृति भेंटकर शानदार स्वागत किया ।

उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि सतपाल गाबा नें कहा कि आज के युग में रामलीला के प्रत्येक चरित्र से हमें सीख मिलती है। हमें श्रवण कुमार जैसे चरित्र से माता पिता की सेवा की सीख लेनें की सख्त जरूरत है। श्रवण कुमार नें 63 तीर्थों की यात्रा के लिए अपने कंधे पर कांवर लेकर जो मिसाल कायम की है, उससे युगों युगों तक उनका नाम अमर हो गया।

आज की लीला में या दिखाया गया कि लंकापति रावण भ्रमण करता करता जब एक बियाबान जंगल में पहुंचता है तो वहीं ऋषि कन्या वेदवती में पूजा कर रही थी रावण उसको देखकर सम्मोहित हो जाता है और उसका परिचय पूछता है वेदवती उसे अपना परिचय देती है । रावण उसे विवाह करने का आग्रह करता है, लेकिन वेदवती उसका यह आग्रह ठुकरा देती है और कहती है कि वह विवाह करेगी तो भगवान विष्णु के साथ ही करेगी। रावण उसको जबरन विवाह करने की हठ करता है तो आकाशवाणी से उसको चेतावनी मिलती है कि वेदवती साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार है। रावण नें तत्काल निर्णय लिया कि अब उसकी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करनें के लिए जानबूझकर उसका अपमान करता है और शाप का भागी बनता है।

इधर श्रवण कुमार अपनें अंधे माता पिता का अंधत्व दूर करनें के चिंतित है। वह महर्षि वशिष्ठ से राय मशवरा कर उनको 63 तीर्थों की यात्रा करवाने हेतु काठ की एक कांवर बनाता है। घनघोर जंगलों में जब उसके वृद्ध मातापिता को प्यास लगती है, तो वह समीप ही बह रही सरयू नदी के किनारे से जल भरनें पहुंचता है। इतनें में ही अयोध्या के राजा दशरथ का शब्द बेधी बाण उसकी छाती में जा धँसता है और उसके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। मरते हुए भी वो राजा दशरथ से अपनें मातापिता को पानी पिलाने का निवेदन करता है। जब राजा दशरथ श्रवण कुमार के माता पिता के पास पहुँचते हैं और उनको इस दुःखद घटना के बारे में बताते हैं तो श्रवण कुमार के माता पिता राजा दशरथ को श्राप दे देते है कि वो 4 पुत्रों के होनें के बावजूद पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर मरेगा। राजा दशरथ इस श्राप को स्वीकार करते हैं।

इधर जनकपुरी में राजा जनक के घर सीता जन्म व अयोध्या में राजा दशरथ के घर राम, भरत, लक्ष्मण, व शत्रुघ्न के रूप में 4 पुत्रों का जन्म होता है। आज भगवान गणेश का किरदार आशीष ग्रोवर, श्रवण का किरदार पुलकित बाम्बा, रावण का किरदार विशाल भुड्डी, वेदवती का किरदार- सुमित आनंद, सुमंत का किरदार सचिन आनंद, श्रवण के माता पिता का किरदार मनोज मुंजाल व नरेश छाबड़ा, राजा दशरथ का किरदार प्रेम खुराना व राजा जनक का किरदार अनिल तनेजा नें निभाया।

मंच संचालन मंच सचिव केवल कृष्ण बत्रा नें किया।

इस दौरान श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोड़ा, कोषाध्यक्ष नरेश शर्मा , उपाध्यक्ष विजय जग्गा, सुभाष खंडेलवाल, मंच सचिव केवल किशन बत्रा, अमित अरोड़ा बॉबी, राकेश सुखीजा, महावीर आजाद , केवल किशन बत्रा , हरीश धीर, श्री राम नाटक क्लब के संरक्षक मोहन लाल भुड्डी, महामंत्री गौरव तनेजा, डायरेक्टर हरीश सुखीजा, संजीव आनंद, रामकृष्ण कन्नौजिया, मीडिया प्रभारी सुशील गाबा, कोषाध्यक्ष गौरव जग्गा, मनोज अरोड़ा, सचिन मुंजाल, राजकुमार कक्कड़, रमन अरोरा, सुभाष तनेजा, गौरव गाँधी, नरेश छाबड़ा, गुरशरण बब्बर, वैभव भुड्डी, रोहित नागपाल, विशु गगनेजा, अमन गुम्बर, गोगी नरूला, कुक्कू शर्मा, गोला इदरीसी , आयुष धमीजा,राजा,सन्नी सुखीजा,जतिन सुखीजा, अमित कुमार, कपीश सुखीजा, राजा, राहुल सक्सेना, प्रशांत हुड़िया, पुलकित बाम्बा, मोहन अरोरा, विशाल अनेजा, रवि चोपड़ा, सनी घई, नीतीश धीर, अश्मन अरोरा, संजीव कामरा, तरुण चोपड़ा, राजकुमार नारंग, कन्हिया ग्रोवर, सुशांत चौहान, विकास चोपड़ा नरेश ठेकेदार आदि उपस्थित थे।

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