- आज गुरुवार को पूरे दिन आश्रम में अंतिम दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु
- परमसंत नीम करौली जी महाराज के अनन्य शिष्य बाबा ऋषि गिरी ने गुप्तेश्वर आश्रम को दिलाई थी कैंंची धााम जैसी मान्यता
एफएनएन,पिथौरागढ़: तहसील बेरीनाग में अल्मोड़ा -धारचूला राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित गुप्तेश्वर धाम के संस्थापक 108 वर्षीय परमसिद्ध बाबा ऋषिगिरी महाराज ब्रह्मलीन हो गए हैंं। आश्रम में अपने हाथोंं से बनाई समाधि में बैठकर उन्होंने योग क्रिया से देहत्याग कर दिया। बाबा ऋषि गिरी के निधन की खबर से उनके हजारों श्रद्धालुओं में शोक की लहर दौड़ गई है। गुुरुवार को पूरे दिन उनकी पार्थिव देह को श्रद्धालुओं के अंतिम दर्शन के लिए गुप्तेश्वर धाम में रखा जाएगा।
बताते हैं कि नीम करौली महाराज के शिष्य और राम मंदिर चाकचौंन के रहने वाले मूलतः बोरा जी बाबा जी ने तीन दशक के अपने अथक प्रयासों और गांव वालों की मदद से गुप्तेश्वर आश्रम को नीम करौली बाबा के नए कैंची धाम के रूप में विकसित कर दिया है। मंदिर, आश्रम तो आपको कई दिख जाएंगे लेकिन यहाँ पर बाबाजी जी की अटूट भक्ति व श्रद्धा ने लोगोंं के बीच एक भाईचारा व स्नेह का संदेश छोड़ा है।
आश्रम के व्यवस्थापक ने बताया कि प्रतिदिन मंदिर की रसोई सेे भक्तजनों को निःशुल्क भोजन परोसा जाता है। लगभग 55 सीढ़िय सीढ़ियांं चढ़कर श्रद्धालुओं को माता दुर्गा, भगवती, कालिका व भगवान के मूर्ति के दर्शन होते है। बाबा जी ने मंदिर परिसर को पीपल,तिमूल,अनार,बेर,तुलसी,आंवला,अमृतफल व अनेक फूलों से सजा-महका रखा है। भक्तजन त्योहारों पर आश्रम की धर्मशाला में अखंड रामायण, हनुमान चालीसा, कीर्तन, भजन, नृत्य कर जंगल मे मंगल कर देते हैंं।
कल विधि विधान से होगा अंतिम संस्कार
आश्रम के व्यवस्थापक ने बताया कि गुरुवार 31 दिसम्बर को प्रातः से शाम तक बाबा जी का पार्थिक शरीर भक्तों के अंतिम दर्शन के लिए आश्रम में रखा जाएगा । शुक्रवार 1 जनवरी को विधि विधान से अंतिम संस्कार किया जाएगा ।